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निर्जला एकादशी 2018: भीम के कठिन व्रत के कारण कहलाती है भीमसेनी एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी का अत्‍यंत महत्‍व बताया गया है उसमें सबसे श्रेष्‍ठ है निर्जला एकादशी जो भीमसेनी एकादशी भी कहलाती है। जाने इसकी कथा और महत्‍व।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 01:01 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 01:24 PM (IST)
निर्जला एकादशी 2018: भीम के कठिन व्रत के कारण कहलाती है भीमसेनी एकादशी
निर्जला एकादशी 2018: भीम के कठिन व्रत के कारण कहलाती है भीमसेनी एकादशी

भगवान विष्‍णु को है प्रिय

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पंडित दीपक पांडे बताते हैं कि सद्य पुराण के अनुसार भगवान विष्‍णु को एकादशी व्रत अत्‍यंत प्रिय हैं, और वर्ष में हर माह दो एकादशी पड़ती हैं। इस प्रकार कुल मिला कर 24 एकादशी होती हैं, जिनकी संख्‍या पुरुषोत्‍तम मास आने पर 26 हो जाती है। इनमें से जेठ माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं क्‍योंकि इसके व्रत में जल का प्रयोग वर्जित होता है। 

वेद व्‍यास के कहने पर पांडवों ने किया एकादशी का संकल्‍प  

कहते हैं द्वापर युग में महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था। जिसके बाद कुंती सहित चार पांडवों युधिष्‍ठिर, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने तो सफलता पूर्वक इस व्रत को करना प्रारंभ कर दिया। वहीं महाबली भीम के उदर में 'वृक' नाम की जो अग्नि प्रज्‍जवलित रहती थी उसके चलते वे भूखे नहीं रह पाते थे। इससे वे बेहद दुखी थे। 

श्री कृष्‍ण ने बताया महातम्‍य 

तब श्री कृष्‍ण ने भीम को निर्जला एकादशी का महत्‍व बताया। उन्‍होंने कहा कि यदि कोई समस्‍त एकादशी का व्रत नहीं रख सकता तो वो निर्जला एकादशी का व्रत करे। एक दिन निर्जल रह कर इस व्रत को करने से 24 एकादशी का कुल पुण्‍य प्राप्‍त हो जाता है। तब भीम ने जेठ महीने के शुक्‍ल पक्ष में इस एकादशी का व्रत भीम ने पूरी श्रद्धा से किया परंतु दिन समाप्‍त होते होते संज्ञाहीन हो कर पृथ्‍वी पर गिर गए। तब पांडवो ने गंगाजल, तुलसी चरणामृत प्रसाद, देकर उनकी मूर्छा दुर की। तभी से वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। 

दान का है महत्‍व

इस दिन जो निर्जल रहकर प्रात: स्‍नान के पश्‍चात ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को पंखा, आम, सत्‍तु, अन्‍य मौसमी फल और शुद्ध जल से भरा घड़ा दान करता है, उसे अत्‍यंत पुण्‍य और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है।


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