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Navratri 2022 Kanya Puja: कन्या पूजन में एक लंगूर की पूजा भी है जरूरी, जानिए क्या है इसके पीछे कारण

Navratri 2022 Kanya Puja शारदीय नवरात्र पर्व के दौरान माता भगवती के 9 सिद्ध स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इन नौ दिनों में पूजा-पाठ उपवास और कन्या पूजन करने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 01:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 01:13 PM (IST)
Navratri 2022 Kanya Puja: कन्या पूजन में एक लंगूर की पूजा भी है जरूरी, जानिए क्या है इसके पीछे कारण
Navratri 2022 Kanya Puja: शारदीय नवरात्र के अंतिम तिथि को कन्या पूजन किया जाता है।

नई दिल्ली, Navratri 2022 Kanya Puja: देशभर में शारदीय नवरात्र की गूंज हर्षोल्लास के साथ सुनाई दे रही है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में मां दुर्गा के नौ सिद्ध स्वरूपों की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में पूजा-पाठ, उपवास, कन्या पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और उनके जीवन से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। इस पर्व के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि (Navratri 2022 Navami Tithi) को कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन नौ छोटी कन्याओं को घर पर आमंत्रित कर के हलुआ-पूड़ी और चना या खीर-पूड़ी का भोग लगाया जाता है। लेकिन इन सभी कन्याओं के साथ एक लंगूर अर्थात छोटे लड़के को भोग लगाना भी जरूरी होता है। आइए जानते हैं क्या है इस प्रथा के पीछे कारण और इस दिन किन बातों का रखें ध्यान।

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लंगूर को भोजन कराना है जरूरी

कन्या पूजन के दिन 9 कन्याओं को अपने घर पर बैठकर भोजन कराने और उन्हें दक्षिणा देने की प्रथा लम्बे समय से चली आ रही है। इस दिन छोटी कन्याओं को मां भगवती का रूप माना है और उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। लेकिन कन्या पूजन में एक लड़के को भी लंगूर के रूप में बैठाया जाता है। यहां लंगूर का मतलब भगवान हनुमान जी से है। मान्यता है कि हनुमान जी को भीग लगाए बिना पूजा अधूरी रह जाती है।

कन्या में रखें इन बातों का भी ध्यान

  • कन्या पूजन के दिन सभी कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें साफ-सुथरी जगह पर बैठाएं।

  • फिर सभी मां भगवती को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं और मंत्रो का जाप करते रहें।

  • इसके बाद उन्हें दक्षिणा के रूप में सामर्थ्य अनुसार कपड़े, पैसे या खिलौने भेंट करें और उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें घर से विदा करें।

  • इस दिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 10 वर्ष से अधिक ना हो। इन बातों का ध्यान रखने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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