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Navratri 2019 Kumartuli Makes Most Ma Durga Idols: कोलकाता के कुमारटुली इलाके में बनती हैं दुनिया की सबसे अधिक दुर्गा प्रतिमाएं

Navratri 2019Kumartuli Makes Most Ma Durga Idols बंगाल में दुर्गा पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि 1606 ईस्वी पूर्व में पहली बार यहां दुर्गा पूजा शुरू हुई थी।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 01:14 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 09:07 AM (IST)
Navratri 2019 Kumartuli Makes Most Ma Durga Idols: कोलकाता के कुमारटुली इलाके में बनती हैं दुनिया की सबसे अधिक दुर्गा प्रतिमाएं
Navratri 2019 Kumartuli Makes Most Ma Durga Idols: कोलकाता के कुमारटुली इलाके में बनती हैं दुनिया की सबसे अधिक दुर्गा प्रतिमाएं

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Kumartuli Makes Most Idols Of Goddess Durga: दुर्गा पूजा शुरू होने में सिर्फ चार दिन बचे हैं। कोलकाता का कुमारटुली एक ऐसा इलाका है जहां महीनों पहले ही दूर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। दरअसल, यह इलाका मां दुर्गा की प्रतिमाओं के लिए मशहूर है। यहां कई दिन पहले ही मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बनाने का काम शुरू हो जाता है। कुमारटुली में पिछले ढाई सौ सालों से बड़े पैमाने पर ये प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। इन्हें देश ही नहीं विदेश में भेजा जाता है। 

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बंगाल में दुर्गा पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि 1606 ईस्वी पूर्व में पहली बार यहां दुर्गा पूजा शुरू हुई थी। यूं तो दुर्गा की प्रतिमाएं हर शहर में बनती हैं लेकिन कुमारटुली की प्रतिमाएं बेहत खास मानी जाती हैं। हर साल ये अलग थीम के आधार पर बनती हैं। इनमें काफी प्रयोग होते हैं। दुर्गा पूजा के खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद अगली पूजा के लिए काम शुरू हो जाता है यानि ये सालभर चलता रहता है।

कुमारटुली कोलकाता महानगर के उत्तरी इलाके में है, यहां मूर्तियां बनाने की जगहें और स्टूडियो हैं। हर साल 15 हज़ार से ज़्यादा प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। कह सकते हैं कि ये जगह प्रतिमा निर्माण का कारखाना है। सिर्फ दुर्गा ही नहीं यहां सरस्वती, विश्वकर्मा, लक्ष्मी और काली पूजा के लिए मूर्तियां बनती हैं।

कुमारटुली में हर आकार-प्रकार और कीमत की मूर्तियां बनती हैं। कई कंपनियां इसके कारोबार से जुड़ी हैं। नए ज़माने के लिहाज़ से कामकाज के तरीके बदल रहे हैं। नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। यहां से प्रतिमाओं का निर्यात बांग्लादेश, अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में होता है।

बेशक यहां प्रतिमाएं मिट्टी से बनाई जाती हैं लेकिन डिजिटल युग ने यहां भी दस्तक दे दी है। डिज़ाइनिंग और साजसज्जा में कंप्युटर की मदद ली जाने लगी हैं। मूर्तियों की ऑनलाइन बुकिंग शुरू हो चुकी है। वैसे अब यहां कांच, फाइबर, कांस्य, पत्थरों की मूर्तियां भी बनाकर निर्यात की जाती हैं।


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