इन 3 त्यौहारों का नाता है नाग से, जानें सावन में क्यों होती है नागों की पूजा
नाग पंचमी का त्यौहार 28 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस दिन नागों की विशेष पूजा होती है। जानें उन त्यौहारों के बारे में जिनका नाता है नाग से...
नाग पंचमी
नाग पूजन का पर्व नागपंचमी मत-मतांतर के साथ गुरुवार और शुक्रवार को मनाया जाएगा। नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है और हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी के दिन दही, दूध, कुशा, गंध, पंचामृत, पुष्प, घी, फल, खीर के द्वारा नागों की पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवायें और स्वंय भी यही भोजन करें।
मंगला गौरी
मंगला गौरी का व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य का वरदान देने वाला होता है। इस बार श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किए जाने वाले इस व्रत का आरंभ 11 जुलाई से शुरु हो गया। कहते हैं कि जिस प्रकार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने हेतु कठोर तप किया उसी प्रकार स्त्रियां इस व्रत को करके अपने पति की लम्बी आयु का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस व्रत का संबंध कहीं न कहीं नाग से संबंधित है।
मधु श्रावणी
सावन आते ही मिथिलांचल में विभिन्न पर्व त्योहारों का दौर शुरू हो जाता है। ऐसा ही महत्वपूर्ण लोक पर्व है मधुश्रावणी। इस त्यौहार को नवविवाहिताएं काफी आस्था और उल्लास के साथ मनाती हैं। सदियों से अपने अखंड सौभाग्य एवं पति के दीर्घायु जीवन की कामना को लेकर मिथिला की नवविवाहिताएं श्रावण कृष्ण पंचमी से लेकर शुक्ल त्रितिया तक पूरी आस्था के साथ मधुश्रावणी पूजन करती है। यह पर्व पंद्रह दिनों तक चलता है। इस पर्व में प्रतिदिन नव विवाहातियें शाम के समय समूह में मंदिर परिसर और बगीचे में जाकर फूल-पत्ती चुनती हैं और उसे डाला में सजाती हैं। इस पूजा में नवविवाहिताएं भगवान शंकर-गौरी, नाग -नागिन और इस्ट देवताओं की पूजा अर्चना और गायन करती हैं।