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Matri Navami 2021: आज मातृ दोष से मुक्ति का दिन है मातृ नवमी, जानें इस दिन किनका होता है श्राद्ध

Matri Navami 2021 इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों की आत्म तृप्ति के लिए समर्पित होता है जिसे पितृ पक्ष कहते हैं। पितृ पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी या सौभाग्यवती नवमी कहा जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 02:07 PM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 07:33 AM (IST)
Matri Navami 2021: आज मातृ दोष से मुक्ति का दिन है मातृ नवमी, जानें इस दिन किनका होता है श्राद्ध
Matri Navami 2021: आज मातृ दोष से मुक्ति का दिन है मातृ नवमी, जानें इस दिन किनका होता है श्राद्ध

Matri Navami 2021: इस समय पितृ पक्ष चल रहा है। आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों की आत्म तृप्ति के लिए समर्पित होता है, जिसे पितृ पक्ष कहते हैं। पितृ पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी या सौभाग्यवती नवमी कहा जाता है। आज 30 सितंबर दिन गुरुवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। इस अनुसार 30 सितंबर को मातृ नवमी है। मातृ नवमी श्राद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। धा​र्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता पक्ष का श्राद्ध करने से व्यक्ति मातृ ऋण से मुक्त हो जाता है। जो लोग माता पक्ष का श्राद्ध नहीं करते हैं, उनको मातृ दोष का भागी बनना पड़ सकता है। पितृ दोष की तरह ही मातृ दोष भी होता है। आइए जानते हैं कि मातृ नवमी के दिन किनका श्राद्ध होता है।

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मातृ नवमी श्राद्ध 2021

मातृ नवमी के दिन माता पक्ष (वह चाहे दादी पक्ष हो या फिर नानी पक्ष का) का श्राद्ध कर्म किया जाता है। मातृ नवमी का दिन परिवार के मातृ पितरों से जुड़ा होता है। उनकी आत्म तृप्ति के लिए इस दिन पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं। मातृ पक्ष में आपको अपनी माता, दादी, परदारी, नानी आदि का श्राद्ध करना होता है।

मातृ नवमी श्राद्ध 2021 तिथि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ आज रात 0 8 बजकर 29 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन 30 सितंबर दिन गुरुवार को रात 10 बजकर 08 मिनट पर होना है।

कब करें मातृ नवमी श्राद्ध

श्राद्ध कर्म के लिए दिन में 11 बजे से लेकर दोपहर 02 बजकर 30 मिनट तक के समय काल को उत्तम माना गया है। इस समय में आपको अपने मातृ पक्ष का श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध में कौआ, कुत्ता, पक्षी, चींटी, ब्राह्मण आदि को भोजन कराया जाता है।

पशु पक्षियों को भोजन देने के पीछे मान्यता यह है कि हमारे पितर जब पितृ लोक से पृथ्वी पर आते हैं, तो वे इन जीवों के माध्यम से ही श्राद्ध का भोजन ग्र​हण करते हैं। इस वजह से ही हर वर्ष पितृ पक्ष में इन जीवों को भोजन दिया जाता है।

मातृ नवमी को क्यों कहते हैं सौभाग्यवती नवमी

दरअसल माता पक्ष भी निधन के बाद पितर बनती हैं। नवमी श्राद्ध या मातृ नवमी के दिन विधि विधान से जब वे अपने वंश के किए श्राद्ध से तृप्त हो जाती हैं, तो प्रसन्न होकर वंश वृद्धि, सुख, समृद्धि, सौभाग्य एवं मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं। इस वजह से मातृ नवमी को सौभाग्यवती नवमी भी कहा जाता है।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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