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Makar Sankranti Puja: जानें मकर संक्रांति से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी

Makar Sankranti Puja मकर संक्रांति पर सम्पूर्ण प्रकृति भगवान भुवनभास्कर का नमन करने लगती है। ऐसे में मनुष्य भी अपनी यथाशक्ति सूर्यदेव का अभिनंदन करके स्वयं को कृतार्थ करते है। योगी और ऋषियों ने इस दिन की महत्ता का उल्लेख अनेक शास्त्रों में किया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 12:59 PM (IST)
Makar Sankranti Puja: जानें मकर संक्रांति से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी
Makar Sankranti Puja: जानें मकर संक्रांति से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी

Makar Sankranti Puja: मकर संक्रांति पर सम्पूर्ण प्रकृति भगवान भुवनभास्कर का नमन करने लगती है। ऐसे में मनुष्य भी अपनी यथाशक्ति सूर्यदेव का अभिनंदन करके स्वयं को कृतार्थ करते है। योगी और ऋषियों ने इस दिन की महत्ता का उल्लेख अनेक शास्त्रों में किया है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा से जानते है मकर संक्रांति से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी।

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1. पहली पतंग उड़ाने की परंपरा-

पुराणों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने शुरु की थी। इस दिन पतंग को हवा में उड़ाकर छोड़ देने से सारे क्लेश समाप्त होते है। तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई वह स्वर्गलोक में इंद्र के पास जा पहुंची थी।भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है।

2. दान का क्यों है विशेष महत्व-

मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों को यथाशक्ति दान करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान करें। इसके बाद खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है। इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है।

3. मुहूर्त का भी है महत्व-

भगवान सूर्य 14 जनवरी दिन गुरुवार की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी। वहीं, दिन भर में पुण्य काल करीब शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल सुबह में ही रहेगा। माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

4. घर पर कैसे करें मकर संकांति की पूजा-

  • सुबह जल में गंगाजल, सुगंध, तिल, सर्वऔषधि मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के दौरान गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु। इस मंत्र को पढ़े।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें। घी का दीप जलाएं और पूजन करें।
  • इसके बाद सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें। जल में काले तिल, गुड़ डालकर पीपल को जल दें।
  • जरूरतमंदों को तिल, गुड़, चावल, नमक, घी, धन, हल्दी जो भी भगवान को भेट किया वह दान कर दें।
  • सूर्यपुराण, शनि स्तोत्र, आदित्यहृदय स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना लाभकारी रहेगा।

डिस्क्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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