Makar Sankranti: क्या हैं मकर संक्रांति की विभिन्न परम्पराएं, जानें इनके बारे में
Makar Sankranti मकर संक्रान्ति पर्व महोत्सव का रूप धारण कर चुका है। आज के दिन भारतवर्ष में पतंग उड़ाने का कार्य होता है। मकर संक्रान्ति के दिन भगवान शिव का घी से अभिषेक करने का विशेष फल होता है
Makar Sankranti: मकर संक्रान्ति पर्व महोत्सव का रूप धारण कर चुका है। आज के दिन भारतवर्ष में पतंग उड़ाने का कार्य होता है। मकर संक्रान्ति के दिन भगवान शिव का घी से अभिषेक करने का विशेष फल होता है। स्वर्ण दान तथा तिल से भरे पात्र का दान करना अक्षय फल को देता है। इस दिन से जुड़ी कई परंपराएं और रीति-रिवाज है जिसके बार में जानते हैं ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र से।
मकर संक्रांति की विभिन्न परम्पराएं:
विभिन्न परम्पराओं और रीति-रिवाजों के अनुरूप प्रदेशों में भिन्न-भिन्न रूप से इस त्यौहार को मनाया जाता है। उत्तर भारत में गंगा-यमुना के किनारे बसे गांवों और नगरों में मेलों का आयोजन किया जाता है। इनमें बंगाल का गंगासागर मेला बेहद प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त दक्षिण बिहार में मदार-क्षेत्र में भी एक मेला लगता है। महाराष्ट्र और गुजरात में मकर संक्रान्ति पर अनेक खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है। पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में लोहड़ी के नाम से मकर संक्रान्ति पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज भी मकर संक्रान्ति के एक दिन पूर्व इसे लाल लोही के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रान्ति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। तमिल पंचांग का नया वर्ष पोंगल से शुरु होता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में हुए परिवर्तन को अन्धकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रान्ति से दिन बढ़ने लगता है और रात्रि का समय कम होने लगता है। स्पष्ट है कि दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा और रात्रि छोटी होने से अन्धकार की अवधि कम होगी। हम सब जानते हैं कि सूर्य ऊर्जा का अजस्त्र स्त्रोत है। इसके अधिक देर चमकने से प्राणिजगत् में चेतनता और उसकी कार्यशक्ति में वृद्धि हो जाती है। इसीलिए हमारी संस्कृति में मकर संक्रान्ति पर्व मनाने का विशेष महत्व है।
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