प्रेम से मनुष्य सबका प्रिय बन जाता है
जीव जैसा बीज बोता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। दुनिया में क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों ही होती है। हम दूसरों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे, वैसा ही व्यवहार लौटकर हमारे पास आएगा।
ग्वालियर। जीव जैसा बीज बोता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। दुनिया में क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों ही होती है। हम दूसरों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे, वैसा ही व्यवहार लौटकर हमारे पास आएगा। मनुष्य को नफरत के बदले नफरत और प्रेम के बदले प्रेम मिलता है।
ये विचार मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए। मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि प्रेम से मनुष्य सबका प्रिय बन जाता है। इसलिए जीवन के प्याले में कटुता का जहर नहीं प्रेम का अमृत भरो। ऐसा करने से ही जीवन सद्मार्ग की ओर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि मां और महात्मा में अंतर होता है। मां हमें नौ माह गर्भ में रखकर स्वयं पीड़ा सहन करती है और जन्म देती है। जबकि महात्मा वह होता है, जो हमारे जीवन में अंधकार का पर्दा हटाकर हमारी अंतरदृष्टि खोल देता है। इससे ही हमें संसार में सत्य के दर्शन होते हैं।
विश्वास के बिना रिश्ता नहीं चलता बिना विश्वास के कोई भी रिश्ता नहीं चलता है। आज घर और परिवार टूट रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह विश्वास में कमी होना है। जहां संदेह का भूत प्रवेश कर जाता है, वहां मित्रता समाप्त हो जाती है। मां का आदर करो जीवन में माता का आदर करें। माता के हाथों से भोजन करें। माता स्वयं परमात्मा है। मां के आशीर्वाद से जीवन का कल्याण स्वतः ही हो जाता है। मां में सृष्टि का सार छुपा है। मां ही प्रथम गुरु और परमात्मा है। इसलिए उसे कभी भी दुख मत पहुंचाओ। अच्छे इंसान बनें हमारा मनुष्य जीवन तभी सार्थक है, जब हम एक अच्छे इंसान बन जाएं। मानव का जीवन अन्य जीवन की तुलना में दुर्लभ होता है। इसलिए हम धर्म का स्वरूप जानकर अपने अस्तित्व का अनुभव कर सकते हैं।