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भगवान राम की छठी: बंटा सोठउरा-मिठाई, गूंजी सोहर-बधाई

वरुणा तट से सटी कालोनी के एक फ्लैट में गुरुवार की सुबह अलग ही माहौल था। ढोल की थाप व मंजीरे की खनक पर सोहर के बोल की झनक ने हर एक को चौंकाया। लोगों ने ध्यान लगाया तो समझ में आया कि गुरुवार को रामलला के जन्म का छठवां

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2015 10:31 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2015 10:36 AM (IST)

वाराणसी। वरुणा तट से सटी कालोनी के एक फ्लैट में गुरुवार की सुबह अलग ही माहौल था। ढोल की थाप व मंजीरे की खनक पर सोहर के बोल की झनक ने हर एक को चौंकाया। लोगों ने ध्यान लगाया तो समझ में आया कि गुरुवार को रामलला के जन्म का छठवां दिन था, भगवान की छठी थी।

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पश्चिमीकरण के दौर में इस संस्कार और इसके प्रति कुछ ही दिलों में बचे रह गए सरोकार से मोहल्लेवालों को नाजनीन ने परिचय कराया। नाजनीन ने दुनिया भर के मजहबी प्रपंचों से खुद को अलग रखते हुए रामनवमी पर नौवें साल मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्मोत्सव मनाया। इसके ठीक छठें दिन गुरुवार को छठी के लिए सखियों को जुटाया। प्रभु राम की छवि सजाई और सोहर व बधाई के बोल फिजा में घोल दिए।

घर घर बजत बधइया, नगरिया में शोर भयो हो। ललना अवधपुरी सुख धाम, जनम राम लिहलें हो। ढोलक की थाप व मजीरे की छनक छाप के बीच महोत्सव मनाया गया। इस खास आयोजन के लिए तैयार सोठउरा व मिठाई से एक दूसरे का मुंह भी मीठा कराया गया। उत्साह और उल्लास यह कि मानो भगवान राम ने इसी घर में जन्म लिया, दर्शन दिया और धन्य भी किया। वैसे तो नाजनीन के संयोजन में राम छठी महोत्सव का यह पहला मौका था लेकिन यह वर्षों से हृदय में उभरे भावों में नित गहराती श्रद्धा में छौंका था। विशाल भारत संस्थान की सक्रिय सदस्य नाजनीन ने लोगों को इस उत्सव के बहाने अपनी जमीन से परिचय कराया। वह कहती हैं कि भगवान राम किसी धर्म-मजहब के नहीं ,वह पूरे हिन्दुस्तान की अवाम के हैं। भारतीय संस्कारों के जरिए ही एका का यह संदेश गांव घर तक जाएगा और दिलों में दूरियां बढ़ाती मजहबी दीवारों को ढहाकर रामराज्य ले आएगा।

इससे पहले पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त डा. ओपी केजरीवाल ने रामलला को भोग लगाया और दीप जलाकर महोत्सव आगे बढ़ाया। नाजनीन ने स्वरचित श्रीराम प्रार्थना को सहेलियों के साथ स्वर दिया और हर दिल को भावों से भर दिया। विशाल भारत संस्था के अध्यक्ष डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि रामलला का छठी महोत्सव हर धर्म के परिवारों को जोडऩे वाला है। इसके लिए मुस्लिम परिवारों की लड़कियों ने सोहर बनाया और इसे पूरे भाव से गुनगुनाया। इसमें नजमा परवीन, शबाना, बिल्किस बेगम, हाजरा बेगम, अलका शुक्ला, लक्ष्मी देवी, पूनम सिंह, अर्चना भारतवंशी, कहकशां अंजुम, डा. मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी आदि शामिल थीं।


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