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भगवान् कृष्ण ने ये बातें भगवद् गीता में कलियुग के बारे में लिखी थी

इस श्लोक के मुताबिक अकाल और अत्याधिक करों के कारण परेशान लोग घर छोड़ कर सड़कों और पहाड़ों पर रहने को मजबूर हो जाएंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 31 Jan 2017 01:45 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 10:50 AM (IST)
भगवान् कृष्ण ने ये बातें भगवद् गीता में कलियुग के बारे में लिखी थी
भगवान् कृष्ण ने ये बातें भगवद् गीता में कलियुग के बारे में लिखी थी

ये तो सब जानते है, कि भगवद् गीता हिन्दुओं का प्रमुख ग्रंथ है। गौरतलब है, कि आज से लभगभ 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने यह ज्ञान अपने प्रिय सखा अर्जुन को दिया था। साथ ही गीता में कर्म, अर्थ, और जीवन जीने का अद्भुत ज्ञान है। वही गीता में भगवान कृष्ण हमें बहुत सी सीखें भी देते हैं और साथ ही हमें हमारी कमिंया भी बताते हैं। दरअसल गीता को द्वापर युग के अंत में भगवान कृष्ण ने ही सुनाया था, पर तब उन्होंने कलियुग के लिए भी कुछ बाते कहीं थी, और उनकी यह अद्भुत बाते आज सौ प्रतिशत सच भी हो रही हैं। तो यहाँ जानिए आखिर ऐसी कौन सी दुर्लभ बातें है, जो देवेश्वर कृष्ण ने बताई थी।

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श्लोक 1. ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।

कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥

इस श्लोक के मुताबिक कलियुग में अर्थ धर्म, सत्यवादिता, स्वच्छता, सहिष्णुता, दया, जीवन की अवधि, शारीरिक शक्ति और स्मृति सभी दिन पर दिन घटती जाएगी.

श्लोक 2. वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।

धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥

इस श्लोक का अर्थ है कि कलियुग में जिस व्यक्ति के पास जितना धन होगा, वो उतना ही गुणी माना जाएगा और कानून, न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर ही लागू किया जाएगा.

श्लोक 3. दाम्पत्येऽभिरुचिर्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।

स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥

इस श्लोक के अनुसार इस युग में पुरुष स्त्री बिना विवाह के ही एक दूसरे में रूचि के अनुसार साथ रहेंगे। वही व्यापार की सफलता छल पर निर्भर करेगी। कलयुग में ब्राह्मण सिर्फ एक धागा पहनकर ब्राह्मण होने का दावा करेंगे।

श्लोक 4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।

अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥

इसके अनुसार जो मनुष्य घूस देने या धन खर्च करने में असमर्थ होगा। उसे अदालतों से सही न्याय नहीं मिल सकेगा। साथ ही जो व्यक्ति बहुत चालाक और स्वार्थी होगा वो ही इस युग में बहुत विद्वान माना जाएगा।

श्लोक 5. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।

त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम्

इसका अर्थ ये है, कि इस युग में लोग भूख प्यास और कई तरह की चिंताओं से दुखी रहेंगे। कई तरह की बीमारियां उन्हें हर समय घेरे रहेगी। साथ ही कलियुग में मनुष्य की उम्र केवल बीस या तीस वर्ष की ही होगी।

श्लोक 6. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।

उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि ॥

इस श्लोक के अनुसार लोग दूर के नदी और तालाबों को तो तीर्थ मानेंगे, लेकिन अपने पास रह रहे माता पिता की निंदा करेंगे। इसके इलावा सिर पर बड़े बड़े बाल रखना ही सुंदरता मानी जायेगी और केवल पेट भरना ही लोगो का लक्ष्य होगा।

श्लोक 7. अनावृष्ट्या विनङ्‌क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः

शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥

इसके अनुसार कलयुग में कभी बारिश नहीं होगी जिससे सूखा पड़ जाएगा। साथ ही कभी कड़ाके की सर्दी पड़ेगी तो कभी भीषण गर्मी हो जायेगी। तो कभी आंधी आएगी तो कभी बाढ़ आ जाएगी। इन परिस्तिथियों से लोग परेशान होंगे और नष्ट होते जाएंगे।

श्लोक 8. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।

स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥

इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा वो अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जाएगा। वही इस युग में विवाह दो लोगों के बीच बस एक समझौता होगा और लोग बस स्नान करके समझेंगे कि वो अंतरात्मा से शुद्ध हो गए हैं।

श्लोक 9. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।

एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥

इस श्लोक के अनुसार धर्म कर्म के काम केवल लोगों के सामने अच्छा दिखने और दिखावे के लिए ही किए जाएगे। पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक दूसरे को मारेंगे।

श्लोक 10. आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।

शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥

इस श्लोक के मुताबिक अकाल और अत्याधिक करों के कारण परेशान लोग घर छोड़ कर सड़कों और पहाड़ों पर रहने को मजबूर हो जाएंगे। साथ ही पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फूल और बीज तक खाने को मजबूर हो जाएंगे।


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