वैश्रि्वक आपदाओं में कारगर होगी कुंभ की प्लानिंग
यह सच्चाई जितनी हैरत वाली है, उतनी ही दुखी करने वाली भी। महाकुंभ की प्लानिंग पर भले ही किसी भारतीय रिसर्च सेंटरों की नजर नहीं पड़ी, मगर इस कला को सात समुंदर पार रहने वाले विदेशी मित्रों ने परख लिया। अमेरिका का हार्वर्ड विश्वविद्यालय इस कुंभ प्लानिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सजा-संवार कर उतारने जा
इलाहाबाद [आशुतोष तिवारी]।
यह सच्चाई जितनी हैरत वाली है, उतनी ही दुखी करने वाली भी। महाकुंभ की प्लानिंग पर भले ही किसी भारतीय रिसर्च सेंटरों की नजर नहीं पड़ी, मगर इस कला को सात समुंदर पार रहने वाले विदेशी मित्रों ने परख लिया।
अमेरिका का हार्वर्ड विश्वविद्यालय इस कुंभ प्लानिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सजा-संवार कर उतारने जा रहा है। दावा होगा कि सुनामी या फिर युद्ध जैसी विभीषिका से निपटने के लिए उनके पास ऐसा फुलप्रूफ प्लान है, जिससे दो माह में ही एक नया शहर खड़ा किया जा सकता है।
अमेरिका के बोस्टन शहर में स्थित विश्व विख्यात हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान देकर लौटे कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी भी इस बात से दुखी हैं कि अपने देश में इतने बड़े आयोजन पर रिसर्च करने वाला कोई नहीं। वहीं उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के इस प्रयास पर खुशी जतायी। वहां के बारे में बताया कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय की रिसर्च विंग कुछ नए और हैरतअंगेज कारनामों पर ही गहराई से अध्ययन करती है। मेला टीम की पहले हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मार्शल से मुलाकात हुई, फिर रिसर्च विंग के छात्रों से। उनसे कुंभ के आयोजन और उससे जुड़ी तमाम तकनीकी गुण-दोष पर चर्चा हुई। विश्वविद्यालय की चार विंग अपने-अपने स्तर से कुंभ पर्व की प्लानिंग पर अध्ययन कर रही हैं। इसमें हार्वर्ड स्कूल ऑफ अर्बन डिजाइन कुंभ के दौरान बने प्रशासनिक कार्यालय, सड़कों और शौचालयों आदि व्यवस्था के निर्माण पर अध्ययन कर रही है।
वहीं हार्वर्ड स्कूल आफ हेल्थ कुंभ पर्व के दौरान गंगा जल प्रदूषित होने के बाद भी बीमार न पड़ने के कारण पर ध्यान केंद्रित किये हुए है। साथ ही उस दौरान किन-किन बीमारी के कारण मौत हुई और अस्पतालों की व्यवस्था से लेकर दवाओं के इंतजाम तक के लेखा-जोखा को निकालने में लगी है।
इसी तरह हार्वर्ड स्कूल ऑफ रिलिजन स्टडीज कुंभ पर्व के दौरान साधु-संतों के अखाड़ों की रीति-रिवाज से लेकर उनके चुनाव की प्रासंगिकता पर अध्ययन कर रही है। चौथी विंग हार्वर्ड स्कूल आफ टेक्निकल स्कूल की है, जो कुंभ पर्व के दौरान गंगा नदी पर बनाये गए पांटून पुल और घाटों के निर्माण को लेकर अध्ययनरत है। श्री चतुर्वेदी बताते हैं कि इस पर अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं ने बातचीत के दौरान बताया कि कुंभ पर्व की प्लानिंग इतनी फुलप्रूव है, कि इसका उपयोग सुनामी या युद्ध जैसी विभीषिका से गुजरने वाले शहरों को अस्थायी रूप से बसाने के लिए किया जा सकता है।
ऐसे संकट से गुजरने वालों को दो माह के अंदर ही तंबुओं के शहर में किस तरह शरण दी जा सकती है, वे इस पर एक रिपोर्ट देने जा रहे हैं। भविष्य में इस तरह का संकट अगर कहीं होता है तो इस व्यवस्था से वहां के लोगों को राहत दी जा सकती है।
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