Kumbh 2019: प्रयागराज समेत इन चार शहरों में ही क्यों होता है इसका आयोजन
प्रयाग के अतिरिक्त तीन अन्य शहरों में कुंभ मेले का आयोजन होता है। क्या आप जानते हैं कि अमृत की एक बूंद के चलते किन स्थानों पर होगा ये आयोजन इसका निर्णय हुआ था।
कुंभ से जुड़ी कथा
सर्वप्रथम तो हम जानते हैं क्या है कुंभ पर्व के आयोजन से जुड़ी कथा। वैसे तो इस बारे में दो, तीन पौराणिक कथायें प्रचलित हैं, परंतु जिस कथा को सबसे प्रमाणिक कहा जाता है वो कुछ इस प्रकार है। इस कथा के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से छलकी अमृत बूंदें इस पर्व् को आधार बनीं। कहते हैं कि महर्षि दुर्वासा के एक शाप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए थे आैर दैत्यों ने उन पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया था। तब सब देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और उनसे सहायता मांगी। तब विष्णु जी ने उन्हे दैत्यों के साथ क्षीरसागर का मंथन करने के लिए कहा। मंथन में अमृत कुंभ भी निकला आैर इंद्रपुत्र 'जयंत' अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। दैत्यगुरु शुक्राचार्य के आदेशानुसार दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और उसे पकड़ लिया। इसके बाद अमृत कलश के लिए देव आैर दानवों के बीच बारह दिन तक लगातार युद्ध होता रहा।
चार स्थानों पर गिरी अमृत की बूंद
इस युद्घ में छीना छपटी के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, आैर नासिक में कलश से छलक कर अमृत की बूंदें गिरी थीं। उस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने, सूर्य ने घट फूटने, गुरु ने दैत्यों के अपहरण, आैर शनि ने देवेन्द्र के भय से घट की रक्षा की थी। अंत में युद्घ समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर छल से देवतआें को अमृत पिला दिया। सूर्य, चंद्र, गुरू आैर शनि के अमृत की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण इन चारों ग्रहों भी कुंभ मेले के स्थानों के तय करने में महत्व होता है।
चारों स्थानों पर लगता है कुंभ
जब माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरू मेष राशि में होता है, तब प्रयाग में कुंभ तब लगता है।
विष्णु पुराण के अनुसार जब गुरु कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब हरिद्वार में कुंभ लगता है।
इसी प्रकार जब सूर्य एवं गुरू दोनों ही सिंह राशि में होते हैं तब कुंभ मेले का आयोजन नासिक में गोदावरी नदी के तट पर होता है।
उज्जैन में कुंभ तब लगता है, जब गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं।