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कौसरनाग यात्रा रियासी पहुंची

रियासी बारादरी स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर से महात्मा स्वामी राम शरण दास के नेतृत्व में कौसरनाग की पांचवीं वार्षिक छड़ी यात्रा दर्शन व पूजा अर्चना कर रविवार को रियासी लौट आई। कश्मीर संभाग के रास्ते से यात्रा के विरोध पर रामशरण दास ने कड़ी निंदा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इसके जबाव में अगले वर्ष भारत वर्ष

By Edited By: Published: Tue, 05 Aug 2014 03:12 PM (IST)Updated: Tue, 05 Aug 2014 03:21 PM (IST)

रियासी, संवाद सहयोगी। रियासी बारादरी स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर से महात्मा स्वामी राम शरण दास के नेतृत्व में कौसरनाग की पांचवीं वार्षिक छड़ी यात्रा दर्शन व पूजा अर्चना कर रविवार को रियासी लौट आई। कश्मीर संभाग के रास्ते से यात्रा के विरोध पर रामशरण दास ने कड़ी निंदा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इसके जबाव में अगले वर्ष भारत वर्ष से बड़ी संख्या में भक्त कौसरनाग यात्रा पर जाकर विरोध करने वाले तत्वों को बता देंगे कि हिंदुस्तान में हिंदुओं के किसी भी धार्मिक स्थान की यात्रा या भ्रमण का पूरा अधिकार है। इसमें हस्तक्षेप करने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी।

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उन्होंने कहा कि रियासी से तो पांचवीं वार्षिक छड़ी यात्रा कौसरनाग के दर्शन कर लौट आई। लेकिन कश्मीर संभाग से यात्रा की अनुमति न देकर सरकार ने न केवल यात्रियों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, बल्कि राष्ट्र विरोधी तत्वों के समक्ष घुटने भी टेक दिए।

उन्होंने कहा कि वैसे तो यात्रा का इतिहास काफी प्राचीन है, लेकिन इस बार यात्रा को बाधित करने के विषय चुनावी खेल भी मुख्य वजह है। कुछ लोग मात्र चुनावी फायदे के लिए यात्रा की आड़ में सांप्रदायिकता फैला रहे व सियासी रोटियां सेक रहे हैं, जो आम लोगों की पकड़ से परे है। कई लोग सियासत की शतरंज में गोटियां बनकर सियासतदानों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

प्रदूषण का हवाला देकर यात्र का विरोध करने वालों के बारे में स्वामी रामशरण दास ने कहा कि सभी कश्मीरी हिंदुओं को तो कश्मीर से निकाले जाने के बाद अब कश्मीर में प्रदूषण कौन फैला रहा है। लाखों सैलानियों का प्रदूषण दिखाई नहीं देता। यात्रा में मुट्ठी भर यात्रियों के प्रदूषण की बचकाना बयानबाजी करने वालों को जरा भी संकोच नहीं रह गया। कुछ राष्ट्र विरोधी तत्व कश्मीर स्थित यात्रओं पर आने से अन्य राज्यवासियों के कश्मीर के प्रति लगाव को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन वह तत्व समझ लें कि भारत तथा उसके अभिन्न अंग सम्राट अशोक की राजधानी रही कश्मीर में हिंदुओं के किसी भी धार्मिक यात्रा में हस्तक्षेप को सहन नहीं किया जा सकता।

अमरनाथ यात्र मुद्दे पर कुछ वर्ष पहले दो इंच भूमि न देने की बयानबाजी करने वालों को उसका करार जबाव मिल चुका है। यात्रा का विरोध करने वालों की भी यात्राओं को बाधित करने में सक्षम होने पर भी हिंदू किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाते। न ही अपने धर्म से किसी को खिलवाड़ करने की इजाजत दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि अनंतनाग, कौकरनाग, वेरीनाग की तरह कौसरनाग का अपना भविष्य महत्व है, जिसका वर्णन पुराणों में भी है। अब तक तो रियासी, राजौरी व राजौरीवासी व कश्मीरी पंडित ही कौसरनाग यात्रा पर जाते थे। लेकिन इस बार कुछ तत्वों द्वारा किए गए विरोध के जबाव में अगले वर्ष भारत के विभिन्न जगहों से कौसरनाग के लिए यात्रा निकाली जाएगी।

यात्रा प्रबंध रहे अपर्याप्त

यात्रा प्रबंधों को लेकर राम शरण दास ने जहां सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बताया वहीं प्रशासन द्वारा रहने व ठहरने के इंतजाम को अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सलाल, अरनास, धरमाड़ी, माहौर, साड, सुंगड़ी, चसाना, मलीकोट इत्यादि स्थानों में स्थानीय लोगों ने यात्रा का स्वागत किया। वहीं प्रशासन द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी थे। कुछ स्थानों पर लगाए गए टेंट अपर्याप्त होने पर कई यात्रियों को ढोकों में रात गुजारनी पड़ी। जबकि कई जगहों पर बेहद खराब रास्ता होने के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ी।

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