समय बोध: लक्ष्य हासिल करने में लगाएं अपना समय, कालचक्र की नियति है सरकते रहना
Importance Of Time कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमारे पास पर्याप्त समय है अमुक कार्य भविष्य में कभी कर लेंगे। इसी भ्रांति में जीते अनेक मनचाहे कार्य लटक जाते हैं और बुढ़ापा पसर जाता है। अबूझ अस्मिता है समय।
Importance Of Time : कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमारे पास पर्याप्त समय है, अमुक कार्य भविष्य में कभी कर लेंगे। इसी भ्रांति में जीते अनेक मनचाहे कार्य लटक जाते हैं और बुढ़ापा पसर जाता है। अबूझ अस्मिता है समय। किसी का कटता नहीं, किसी के पास होता नहीं। जीवन में जो चाहा, जैसा चाहा, वह मिला या नहीं, इस पर निर्भर है कि क्या खाने, सोने, दैनंदिन आवश्यक कार्य निपटाने से इतर आपका कोई बड़ा लक्ष्य है? यदि हां तो क्या उसे पाने के लिए आपने आवश्यक समय दिया?
जब तक जीवन है, विघ्नकारी व्यक्तियों और परिस्थितियों से आमना-सामना भी होता रहेगा। कटु क्षणों को चित्त में धारण करेंगे तो समय बोझिल होकर वर्तमान के सुख-चैन हर लेगा। जिन अप्रिय प्रसंगों पर आपका नियंत्रण नहीं, उनमें उलझ कर समय नष्ट करेंगे, तो प्राकृतिक सहजता खो बैठेंगे। कुछ अभिनव, सार्थक करने का उत्साह नहीं जुटा पाएंगे। आप उदासीन, निराश रहने लगेंगे। आप अलग-थलग पड़ जाएंगे।
समय की गति को रोकना या शिथिल करना मनुष्य के वश में नहीं है। जीवनयात्रा के दुष्कर क्षणों को अपरिहार्य मानते हुए, जो भी वर्तमान में बेहतर उपलब्ध है, उसमें रस लेने, सहेजने में समय लगाएं। कालचक्र एक ही स्थिति में नहीं रहता, सरकते रहना इसकी नियति है। वह समय न रहा तो यह भी नहीं रहेगा। हमारा जीवन बहुत लंबा नहीं है, अतीत की अरुचिकर परिस्थितियों की चिंता या उनके विश्लेषण में समय न गंवाएं। प्रसन्नचित्त रहने का अभ्यास निरंतर करते रहें। खिला मुस्कुराता चेहरा किसी के हृदय तक पहुंचने का अचूक साधन है।
समय के प्रति सजग प्रबुद्ध व्यक्तियों ने इसको नष्ट नहीं होने दिया। ऊंचाइयों तक वही पहुंचे जिन्होंने समय का सदुपयोग अपने कौशल तराशने में किया। निर्णय आपको लेना है। समय की आंधी में गुम हो जाएं या ऐसे कार्य करें, जिनके सुखद प्रतिफल स्वयं को और भावी पीढ़ी को मिलें।
हरीश बड़थ्वाल