जानें क्या है मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
30 नवंबर 2017 को गुरूवार को मोक्षदा एकादशी का व्रत है। पंडित विजय त्रिपाठी ‘विजय’ के बताया इस व्रत को मोक्ष की अभिलाषा से रखा जाता है।
मोक्षदायिनी एकादशी है
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनायी जाती है, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है ‘मोक्षदा’, अर्थात् मोक्ष को देने वाली। हालांकि इसे मौनी एकादशी और वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह 30 नवम्बर 2017 को मनायी जा रही है।
क्यों मनाते हैं
मोक्षदा एकादशी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए पंडित जी ने बताया कि आज ही के दिन योगेश्वर श्री कृष्ण जी ने कुरूक्षेत्र की युद्ध भूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इसको गीता जयन्ती भी कहा जाता है। तभी से इस दिन एकादशी का व्रत रखकर मौन रहते हुए श्रीमद्भगवत के सम्मान में पर्व मनाया जाता है।
शुभ फल के लिए करते हैं पूजा
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही गीता और भगवान श्री कृष्ण का भी पंचोपचार यानि पांच प्रकार से या षोडशोपचार अर्थात 16 प्रकार से, पूजन करने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गीता का सम्पूर्ण पाठ भी करना चाहिए, और गीता की एक पुस्तक कुछ मिठाई और दक्षिणा किसी सुयोग्य को दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।