Move to Jagran APP

Pitru Paksha 2021: जानें, पितर पक्ष में भी किन मुहूर्तों में कर सकते हैं खरीदारी

Pitru Paksha 2021 पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करना या सोना आदि खरीदना निषेध माना जाता है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पितृ पक्ष में भी कुछ विशेष तिथियां और मुहूर्त हैं जिनमें खरीदारी करना अशुभ नहीं माना जाता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 07:13 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 07:37 AM (IST)
Pitru Paksha 2021: जानें, पितर पक्ष में भी किन मुहूर्तों में कर सकते हैं खरीदारी
जानें, पितर पक्ष में भी किन मुहूर्तों में कर सकते हैं खरीदारी

Pitru Paksha 2021: हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पूरी तरह से पितरों के लिए समर्पित होता है। इसलिए ही इस पक्ष को पितर पक्ष या पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। इस माह में मृत पूर्वजों या पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। इस काल में कोई भी शुभ कार्य करना या सोना आदि खरीदना निषेध माना जाता है। इस साल पितृ पक्ष 21 सितंबर से शुरू होकर 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होगा। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पितृ पक्ष में भी कुछ विशेष तिथियां और मुहूर्त हो हैं जिनमें खरीदारी करना अशुभ नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं उन तिथियों और मुहूर्त के बारे में।

loksabha election banner

पितृ पक्ष में खरीदारी करने के मुहूर्त

पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। इस पक्ष में कोई भी शुभ कार्य जैसे मुण्डन, शादी-विवाह आदि नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही इस काल में खरीदारी करना भी शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन पितर पक्ष की अष्टमी तिथि पर गजलक्ष्मी अष्टमी का व्रत रखने का विधान है। इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है, मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से उसमें आठ गुने की वृद्धि होती है। इसके अलावा 26 और 27 सितंबर को रवि योग तथा 27, 30 सितंबर और 6 अक्‍टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और 1 अक्‍टूबर को गुरु पुष्‍य योग में भी खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।

हालांकि पितर पक्ष में मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। माना जाता है इस काल में पितर धरती पर अपने परिजनों से मिलने आते हैं। इसलिए इस काल में दान-पुण्य करना ही शुभ माना जाता है। हालांकि पितर अपनी संतति के सुखमय जीवन से नाराज नहीं होते हैं लेकिन इस काल में सादा जीवन जीना ही उचित माना जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.