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Motivational Story: दुनिया जीतने वाले अपनों को हार जाते हैं, पढ़ें कहानी पचास रुपये का सबक

Motivational Story इस तेज रफ्तार भरे जीवन में हम खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि जिनके लिए हम दुनिया से आगे निकला चाहते हैं हम उन्हें ही काफी पीछे छोड़ देते हैं। जिनसे दोबारा मिलना नामुमकिन सा हो जाता है।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 11:30 AM (IST)
Motivational Story: दुनिया जीतने वाले अपनों को हार जाते हैं, पढ़ें कहानी पचास रुपये का सबक
कहानी पचास रुपये का सबक, दुनिया को जीतने के चक्कर में अपनों को हार जाते हैं हम

Motivational Story : दुनिया में आगे बढ़ने के चक्कर में हम रिश्तों को भी पीछे छोड़ देते हैं। इस तेज रफ्तार भरे जीवन में हम खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि हमें उन्हें समय नहीं दे पाते हैं, जो हमारे लिए सबसे अहम होते हैं। जिनके लिए हम दुनिया से आगे निकला चाहते हैं, हम उन्हें ही काफी पीछे छोड़ देते हैं। जिनसे मिलना नामुमकिन सा हो जाता है। हमें अपनों के लिए समय निकालना बहुत जरूरी होता है। आज हम इसी पर आधारित एक कहानी पचास रुपये लेकर आए हैं।

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एक आदमी अपने ऑफिस के काम से थक-हार के घर पहुंचा। दरवाजे पर उसके 8 साल के बच्चे ने उसे रोकते हुए कहा कि पापा एक सवाल करूं? पिता ने उलझन भरे आवाज में हां कह दी। बेटे ने सवाल किया कि आप एक घंटे में कितना कमाते हो? पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया 100 रुपये। जवाब सुनकर बेटे ने मासूमियत के साथ पिता से 50 रुपये मांगा। पिता ने डांटते हुए कहा कि पैसों के लिए फालतू सवाल कर रहे थे। जाओ जाकर सो जाओ, ये उटपटांग सवाल मत किया करो। 

लड़का आंखों में आंसू लिये अपने कमरें में चला गया। कुछ समय बाद पिता का गुस्सा शांत हुआ, तो उन्हें लगा कि बच्चे पर फालतू में गुस्सा किया। इससे पहले उसने कभी भी पैसा नहीं मांगा था। शायद उसे जरूरत ही हो। वो खाना खाकर बच्चे के कमरे में गए। वहां बच्चे से सॉरी बोलते हुए उसे 50 रुपये दे दिये और कहा कि ऑफिस का गुस्सा तुमपर निकल गया। बेटा भी थैंक यू बोलकर तेजी से आलमारी की तरफ बढ़ गया।

आलमारी के पास उसने कुछ पैसे जमा कर रखे थे, उन्हें गिनने लगा। पिता ने चिल्लाते हुए कहा कि जब तुम्हारे पास पैसा था, तो मुझसे क्यों मांगा। लड़के ने पलटक जवाब दिया क्योंकि मेरे पास कम पड़ रहे थे। 

लड़का अपने पापा के समीप जाकर कहा कि लीजिये ये 100 रुपया और कल घर जल्दी आ जाइएगा। मुझे आप के साथ खाना खाना है। इतना सुनते ही पिता के आंखों में आंसू आ गया। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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