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हाथ जोड़ने या तिलक लगाने के पीछे का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व जानकर हो जाएंगे दंग

हिंदू धर्म में कई ऐसी परम्पराएं हैं जिनका पालन नितदिन किया जाता है। जैसे- हाथ जोड़कर स्वागत करना माथे पर तिलक लगाना या उपवास। इन सभी परंपराओं के पीछे न केवल अध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी छिपा हुआ है। आइए जानते हैं-

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Fri, 26 May 2023 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2023 07:50 PM (IST)
हाथ जोड़ने या तिलक लगाने के पीछे का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व जानकर हो जाएंगे दंग
पांच ऐसी परंपराएं जिनके पीछे छिपा है वैज्ञानिक महत्व।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क; हिंदू धर्म में परंपराओं पर विशेष ध्यान रखा जाता है। यहां अनेकों परंपराएं हैं, जिन्हें जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य द्वारा निभाई जाती है। इन परंपराओं के पीछे न केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं। बता दें कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विविध परंपराएं निभाई जाती है। लेकिन कुछ ऐसी परंपराएं हैं, जिन्हें नितदिन प्रयोग में लाया जाता है और इनके पीछे वैज्ञानिक आधार भी बताया गया है। बता दें कि शास्त्रों में हाथ जोड़कर प्रणाम करने की, माथे पर तिलक लगाने की या उपवास की परंपरा के संदर्भ में उनकी विशेषताओं को विस्तार से वर्णित किया गया है। आइए आज हम जानते हैं, पांच ऐसी परंपराएं जिनके पीछे छिपे हैं आध्यात्मिक महत्व और वैज्ञानिक महत्व।

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हाथ जोड़कर नमस्कार करने की परंपरा

हिंदू धर्म में हाथ जोड़कर नमस्कार करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह न केवल किसी के प्रति सम्मान व्यक्त करने का प्रतीक है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। जब एक व्यक्ति दोनों हाथों को आपस में जोड़ता है तो उसकी हथेलियों में कुछ ऐसे बिंदु होते हैं, जिनपर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं से आंख, नाक, कान, हृदय आदि शरीर के विभिन्न अंगों का सीधा संबंध है। ऐसे में हाथ जोड़कर नमस्कार करने से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है और इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति कई प्रकार की बिमारियों से बचा रहता है। वैज्ञानिक तौर पर इसे एक्यूप्रेशर कहा जाता है, जिसका चलन हाल के दिनों में बहुत बढ़ा है।

ललाट पर तिलक लगाने का महत्व

पूजा-पाठ के समय व्यक्ति हमेशा अपने ललाट पर तिलक अवश्य लगाता है। यह परंपरा भी लंबे समय से हिंदू धर्म में निभाई जाती है। इसके पीछे न केवल आध्यात्मिक कारण है, बल्कि वैज्ञानिक विशेषता भी छिपी हुई है। बता दें कि तिलक लगाते समय माथे के बीच में उस बिंदु पर दबाव पड़ता है जो तांत्रिका तंत्र से सीधा संबंध रखता है। इस बिंदु पर दबाव पड़ने से यह सक्रिय हो जाता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होने लगता है। तिलक लगाने से न केवल ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि एकाग्रता में भी बढ़ोतरी होती है। साथ ही मांस-पेशियों में रक्त का सही संचार होता है।

पूजा के समय घंटी के प्रयोग का कारण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और उन तक हमारी ध्वनि अर्थात प्रार्थना पहुंचती है। किंतु घंटी बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। बता दें कि घंटी की आवाज कानों में पढ़ने से एकाग्रता बढ़ती है और मन शांत रहता है। इसके पीछे आध्यात्मिक कारण यह भी है कि घंटी बजाने सेनकारात्मक शक्तियां दूर रहती है साथ ही घंटी से निकलने वाली तरंगों को सुनने से शरीर में मौजूद सात अहम बिंदु सक्रिय हो जाते हैं। जिससे शरीर नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहता है।

शिखा रखने का लाभ

कई बार हमने देखा है कि मंदिर में पूजा-पाठ करने वाले पुजारी या अध्यात्म से जुड़े लोग चोटी या शिखा रखते हैं। यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। इसका न केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि आयुर्वेद में भी इस विषय में विस्तार से बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार सिर के जिस हिस्से में शिखा धारण की जाती है, वहां का तंत्रिका तंत्र से सीधा संपर्क होता है। शिखा रखने से इस तंत्र की रक्षा होती है और साथी एकाग्रता में भी बढ़ोतरी होती है। इसके साथ चोटी रखने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

उपवास रखने का वैज्ञानिक महत्व

उपवास रखने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक रूप से लाभ मिलता है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी छिपा हुआ है। आयुर्वेद के अनुसार जिस प्रकार पृथ्वी के तीन-चौथाई हिस्से में पानी और एक चौथाई हिस्से में ठोस जमीन है। उसी प्रकार मानव शरीर भी ऐसा ही बना हुआ है। मानव शरीर में 80% द्रव्य और 20% ठोस पदार्थ है। ऐसे में इन दोनों में संतुलन बनाने के लिए उपवास रखा जाता है। दोनों में यदि संतुलन नहीं होता है तो व्यक्ति को तनाव या चिड़चिड़ापन का सामना करना पड़ता है। विज्ञान में तनाव से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं, लेकिन इन सभी उपवास या फलाहार के सेवन को बहुत ही कारगर माना जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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