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काशी विश्वनाथ मंदिर: भोले के भाल सजे गीत गुलाल

रंगभरी एकादशी पर बाबा के गौने के जश्न में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में सुर साज की झंकार भी गूंजी। कलाकारों ने भोले के भाल भजनों और होली के गीतों का गुलाल सजाया। आयोजित शिवार्चन में दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना ने शहनाई पर बधाई बजाई। शहनाई पर ओमप्रकाश, तबला पर प्रदीप, हारमोनियम पर लक्ष्मण ने साथ दिया। ख्यात शास्त्री

By Edited By: Published: Thu, 13 Mar 2014 01:25 PM (IST)Updated: Thu, 13 Mar 2014 01:27 PM (IST)

वाराणसी। रंगभरी एकादशी पर बाबा के गौने के जश्न में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में सुर साज की झंकार भी गूंजी। कलाकारों ने भोले के भाल भजनों और होली के गीतों का गुलाल सजाया। आयोजित शिवार्चन में दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना ने शहनाई पर बधाई बजाई।

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शहनाई पर ओमप्रकाश, तबला पर प्रदीप, हारमोनियम पर लक्ष्मण ने साथ दिया। ख्यात शास्त्रीय गायिका रेवती साकलकर ने 'शिव बांध जटा खेले होरी गौरा संग.', 'होली हो रही बाबा विश्वनाथ दरबार.' आदि फाग गीतों से श्रृंगार किया। 'शंकर महादेव देव सेवक सब जाके.' समेत भजन भी सुनाए। तबला पर हरिओम हरि, हारमोनियम पर विजय शर्मा, वायलिन पर सुखदेव मिश्र, मैरकस पर प्रांजली चतुर्वेदी ने संगत किया। डा. सुचरिता गुप्ता ने राग काफी में ठुमरी उड़त अबीर गुलाल., दादरा गौरा संग भोला खेलत होली. और मंगल बाजे आनंद वन. सुनाकर विभोर किया। तबले पर ललित कुमार व हारमोनियम पर सौरभ ने साथ दिया। ममता शर्मा ने होली खेलो हमसे नंदलाल. सुनाया। 1तबला पर नंद किशोर, हारमोनियम पर विजय शर्मा, साइड इफेक्ट पर संजय व वायलिन पर सुखदेव मिश्र ने संगत किया। मंडलायुक्त कुमार कमलेश, न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुशील मौर्य ने कलाकारों को स्मृति चिह्न प्रदान किए।

महंत आवास पर भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास ने भगवती को शिवांजलि से शुरूआत की। 'निमिया की डार मइया.' और 'जीभ लटकल होई.' जैसे भजन सुनाया। कन्या भ्रूण हत्या और दहेज जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाया और 'बेटी जनमावल काहे परहेज हो गईल.' समेत निगरुण गीत सुनाया। महेंद्र प्रसन्ना की शहनाई से श्रीगणोश किया गया। अमलेश शुक्ल अमन ने शिव तांडव के साथ ही 'शिव जी बने जब दूल्हे राजा.' और 'भोला बनके निकले दूल्हा.' आदि होली गीत सुनाए। शैलबाला ने किसने सजाया है तुझको गौरा., व्यास मौर्या ने हे शम्भो तिहारी इच्छा से. और आराधना सिंह आदि ने भी भजन पेश किए। तबला पर बलराम मिश्र, आर्गन पर कैलाश पांडेय, पैड पर रिंकू, ढोलक पर नसीम ने संगत किया। महंत कुलपति तिवारी ने स्मृति चिह्न कर अभिनंदन, संचालन कन्हैया दूबे, धन्यवाद संजीव रत्‍‌न मिश्र ने दिया।


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