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Karwa Chauth 2019 Importance Of Sieve: आखिर करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है चांद?

Karwa Chauth 2019 Importance Of Sieveधार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप हैं। चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है इसलिए पूजा करने से दीर्घायु मिलती है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 10:09 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:09 AM (IST)
Karwa Chauth 2019 Importance Of Sieve: आखिर करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है चांद?
Karwa Chauth 2019 Importance Of Sieve: आखिर करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है चांद?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Karwa Chauth 2019 Importance Of Sieve: करवा चौथ का व्रत आज यानी 17 अक्टूबर को है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रख अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। इसलिए ये व्रत खासकर सुहागिनों के लिए काफी महत्व रखता है। इस व्रत की शुरुआत सुबह सरगी लेने से होची है और पूरा दिन भूखे प्यासे पहकर शाम को माता पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा की जाती है। 

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सुहागिनों के अलावा कई कुंवारी लड़कियां भी अपनी भविष्य के पति के लिए ये व्रत करती हैं। इस दिन सुहागिन चंद्रमा की पूजा करती है तो वहीं कुंवारी लड़कियां तारों को पूजती हैं। शादीशुदा महिलाएं इस दिन व्रत कथा भी ज़रूर सुनती हैं। जिसके बिना इस खास व्रत को अधूरा माना जाता है। जिसके बाद सभी चांद निकले का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।

इस व्रत में चंद्रमा को अघर्य देकर व्रत को खोला जाता है। इसके बाद महिलाएं छलनी से चांद के दर्शन करती हैं और पूजा कर व्रत को सम्पन्न करती हैं। तो आइए जानते हैं कि इस दिन चांद और पति का चेहरा आखिर छलनी से ही क्यों देखा जाता है।

ये है वजह

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप हैं। एक मान्यता यह भी है कि चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है। साथ ही चद्रंमा को सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है, यही वजह है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। 

ऐसी पौराणिक कथा

वहीं एक पौराणिक कथा के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी। यह देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया। भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है।

बहन ने भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी। तब से आज तक अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार की परंपरा शुरू हो हुई। 


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