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    Paush Putrada Ekadashi 2025: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? व्रत रखने से दूर होंगी संतान से जुड़ी मुश्किलें

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 03:00 PM (IST)

    पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर संतानहीन दंपतियों के लिए। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जान ...और पढ़ें

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    Paush Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी पौष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ती है और इसे विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है, जो विवाहित जोड़े संतानहीन हैं, उनके लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस साल यह व्रत (Paush Putrada Ekadashi 2025) कब रखा जाएगा?

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    पौष पुत्रदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Paush Putrada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर होगी। इसके साथ ही एकादशी तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 05 बजे होगा। ऐसे में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर ((Paush Putrada Ekadashi 2025) को रखा जाएगा।

    पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Paush Putrada Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

    • व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
    • पीले वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
    • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
    • पीले वस्त्र, पीले फूल, तुलसी दल, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें।
    • भगवान विष्णु को पीली मिठाई और फल का भोग लगाएं।
    • भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें।
    • संतान प्राप्ति की कामना करने वाले जातक विशेष रूप से भगवान को पंचामृत चढ़ाएं।
    • पूजा के दौरान "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • इस दिन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
    • अंत में आरती करें और पूजा में हुई गलती के लिए माफी मांगे।
    • अगले दिन शुभ मुहूर्त में ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराकर दान दें।
    • इसके बाद व्रत का पारण करें।

    पूजन मंत्र Paush Putrada Ekadashi 2025 Puja Mantra)

    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:॥
    • ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
    • शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, वन्दे विष्णुम् भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम्:॥
    • मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरीकाक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।