ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार
ज्येष्ठ माह में कई व्रत और त्यौहार पड़ते हैं। गंगा दशहरा से लेकर अचला एकादशी तक इस महीने कई महत्वपूर्ण व्रत पड़ रहे हैं।
ज्येष्ठ माह के व्रत-त्यौहार
ज्येष्ठ माह का कोई विशेष धार्मिक महत्व नहीं है लेकिन इस माह में गंगा दशहरा आता है इसलिए इस माह को ध्यान में रखा गया है। साथ ही इस माह में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है और इस भयंकर गर्मी में ही निर्जला एकादशी का व्रत भी आता है। इस निर्जला एकादशी का अत्यधिक महत्व होने से इस माह का कुछ महत्व बढ़ जाता है। इस एकादशी को श्रद्धालु लोगो द्वारा अत्यधिक दान-पुण्य किया जाता है विशेषकर पानी का दान बहुत किया जाता है।
अचला कादशी व्रत :
अचला एकादशी या कुछ लोग इसे अपरा एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, परनिन्दा, भूत योनि जैसे कर्मों से छुटकारा मिल जाता है। व्यक्ति को कीर्ति, पुण्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत :
इस व्रत को ज्येष्ठ माह की कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक किया जाता है अथवा पूर्णिमा तक भी कई स्थानों पर किया जाता है। ज्येष्ठ माह की अमावस्या को बड़ सायत अमावस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन वट (बरगद) के पेड़ की पूजा की जाती है। रोली, मौली, चावल, गुड़, भीगा हुआ चना, फूल, सूत, जल मिलाकर बड़ पर लपेटते हैं और चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
गंगा दशहरा :
ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे गंगा स्नान करते हैं और गंगा जी में दूध तथा बताशे चढ़ाकर गंगा जी की पूजा की जाती है। इस दिन शिवलिंग की पूजा का भी विधान है।
निर्जला एकादशी :
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह की शुक्ल एकादशी को रखा जाता है। इस दिन सभी लोग निर्जल रहकर एकादशी का व्रत रखते हैं अर्थात जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति बिना खाए नहीं रह सकता है तब संध्या समय फलाहार करना चाहिए। इस निर्जल एकादशी को जल का दान करने के लिए मटके पानी से भरकर दिए जाते हैं। कई लोग जल का दान भी करते हैं।