गुरू उदय के साथ शुरू हो गया शुभ एवम् मंगल कार्यों का सिलसिला
7 दिसंबर 2018 से गुरु यानि बृहस्पति का उदय हो गया है आैर इसके साथ ही मांगलिक कार्यों का भी शुभारंभ हो गया है। आइये पंडित दीपक पांडे से इस बारे में आैर जानकारी लें।
मंगल कार्यों का शुभारंभ
प्रात: 11 बजकर 08 बजे पर शुक्रवार 7 दिसंबर 2018 को मार्गशीर्ष अमावस्या से बृहस्पति का उदय हो गया है आैर इसके साथ ही शादी विवाह आैर अन्य मांगलिक कार्यक्रमों का आरंभ हो गया है। इससे पूर्व इस वर्ष 12 नवंबर गुरु के अस्त होने के साथ ही शुभ कार्यों का सिलसिला थम गया था। ये अवधि आगामी 22 दिसंबर तक रहेगी, इसके पश्चात मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद पुन: शुभ कार्य रुक जायेंगे।
विवाह की सबसे शुभ तिथियां
इस दौरान विवाह आदि कार्यक्रमों के लिए कर्इ शुभ तिथियां उपलब्ध रहेंगी, परंतु सबसे ज्यादा विवाह तीन तिथियों पर होंगे। पहली है 12 दिसंबर को श्रवण नक्षत्र में, दूसरी 13 दिसंबर को धनिष्ठा नक्षत्र में आैर तीसरी 15 दिसंबर को उत्तराभाद्र पक्ष नक्षत्र में है। इन तीनों पर ही सबसे ज्यादा जोड़े दांपत्य सूत्र में बंध जायेंगे।
अन्य शुभ कार्यों के लिए शुभ तिथियां
इसके अतिरिक्त इस अवधि में नामकरण आैर ग्रहप्रवेश जैसे अन्य शुभ कार्य भी सम्पन्न होंगे। इनमें से कुछ के लिए शुभ तिथियां इस प्रकार रहेंगी। नामकरण के लिए 10 दिसंबर उत्तरषढ़ा नक्षत्र, 12 दिसंबर श्रवण नक्षत्र, 13 दिसंबर धनिष्ठा नक्षत्र आैर 14 दिसंबर शतभिषा नक्षत्र की तिथियां सर्वोत्म हैं तो अन्नप्राशन के लिए भी 10 दिसंबर उत्तरषढ़ा नक्षत्र, 12 दिसंबर श्रवण नक्षत्र, 13 दिसंबर धनिष्ठा नक्षत्र आैर 14 दिसंबर शतभिषा नक्षत्र की तिथियां ही उत्तम हैं। जबकि कुआं अारंभ के लिए 10 दिसंबर उत्तरषढ़ा नक्षत्र, 13 दिसंबर धनिष्ठा नक्षत्र आैर 14 दिसंबर शतभिषा नक्षत्र की तिथियां हैं आैर अगर पुराने घर में कुछ र्निमाण के बाद पुन ग्रहप्रवेश करना है तो 14 दिसंबर शतभिषा नक्षत्र में कर सकते हैं। वहीं 12, 13 आैर 14 दिसंबर को रिनोवेशन के बाद या नए घर में ग्रहप्रवेश किया जा सकता है।