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प्रेम बांटने का है समय

कोरोना काल की स्थितियों में धीरज बहुत जरूरी है। धीरज रखने के लिए इस बात की जरूरत है कि हमारे अंदर शांति हो साथ ही मनुष्य के अंदर समय व स्थितियों को परखने का विवेक हो। बुद्धिमान वही है जो समय के स्वभाव को जानता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 10:20 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 10:20 AM (IST)
प्रेम बांटने का है समय
मनुष्य में समय व स्थितियों को परखने का विवेक हो। बुद्धिमान वही है जो समय के स्वभाव को जानता है।

कोरोना काल की स्थितियों में धीरज बहुत जरूरी है। धीरज रखने के लिए इस बात की जरूरत है कि हमारे अंदर शांति हो, साथ ही मनुष्य के अंदर समय व स्थितियों को परखने का विवेक हो। यह विवेक ही बताएगा कि यह समय भी गुजरेगा, चाहे कोई भी परिस्थिति हो, उसे गुजरना ही है। हर एक चीज बदलती है। अच्छा समय हो तो वह भी गुजरेगा। बुरा समय है तो वह भी गुजरेगा। बुद्धिमान वही है जो समय के इस स्वभाव को जानता है।

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जब इच्छा के अनुकूल सब कुछ होता है तो हम समझते हैं कि अच्छा समय है और जब इच्छा के प्रतिकूल होता है, तो हम उसे बुरा समय मानते हैं। पर मानना यह चाहिए कि जब तक हमारे भीतर सांसें चल रही हैं, हमारा समय अच्छा है। हमें इस बात का गर्व करना चाहिए कि हमें मनुष्य का शरीर मिला हुआ है। इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद करना चाहिए कि हम प्रेम, करुणा और सेवा के योग्य हैैं। इस समय एक-दूसरे को प्रेम देने की जरूरत है। अगर किसी के पास दूसरे को देने के लिए कुछ नहीं है तब भी वह प्रेम दे सकता है। प्रेम देने से प्रेम बढ़ता है और नफरत व गुस्सा कम होते हैं।

एक छोटा-सा उदाहरण है। एक लड़का किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त था, पर उसे कलम (पेन) इकट्ठा करने का शौक था। उसकी जेब में बहुत सारे कलम रखे होते थे। कोई उसका कलम ले लेता तो वह बहुत क्रोधित हो जाता और गुस्से में आकर खुद को ही काटने लगता। उससे कलम इकट्ठा करने की आदत छोड़ने की बात कहने पर भी वह गुस्से में खुद को काटने लगता। एक दिन वह अपने रिश्तेदार के यहां रहने के लिए गया। वहां जब लोगों ने उसे प्रेम देना शुरू किया और उसके शौक की सराहना की, तो उसका गुस्सा कम होने लगा। उसे लोगों का आदर और प्रेम मिला, तो धीरे-धीरे उसकी इकट्ठा करने की आदत भी छूट गई। वह अपने कलम भी लोगों में बांटने लगा।

हमलोग परिवार में एक-दूसरे को प्रेम क्यों नहीं देते हैं! एक-दूसरे को ताना क्यों मारते हैं! एक-दूसरे पर गुस्सा करने की कोशिश क्यों करते हैं? एक-दूसरे की बुराइयों को ही क्यों देखते हैं, अच्छाइयों को क्यों नहीं देखते हैं। एक-दूसरे को प्रेम की जरूरत है। धीरज और प्रेम यदि हमारे भीतर है, तो हमारा इंसान होना सार्थक है।

आज मनुष्य को हमदर्दी भी चाहिए और हिम्मत भी चाहिए क्योंकि हमें अच्छे समय की ओर आगे बढ़ना है। बुरे समय को पार करना है। आगे बढ़ने की शक्ति हमें किसी पहाड़ के ऊपर नहीं मिलेगी, अपने भीतर से ही मिलेगी। आपको सहारा देने वाला, आपका हित चाहने वाला आपके अंदर बैठा हुआ है। काफी लोगों ने अपने प्यारों को खो दिया है। यह शोक की बात है, परन्तु फिर भी आगे बढऩा है। हिम्मत रखें और दूसरों को धैर्य, सांत्वना और प्रेम दें।

प्रेम रावत, आध्यात्मिक गुरु


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