Move to Jagran APP

इस बार विजयादशमी पर अद्भुत संयोग होने से यह महापर्व अत्यंत ही शुभ फलदायक रहेगा

दशहरा के दिन अबूझ मुहूर्त है। इसीलिए दशहरे के दिन नए व्यापार या कार्य की शुरुआत करना अति शुभ होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 02:37 PM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 04:02 PM (IST)
इस बार विजयादशमी पर अद्भुत संयोग होने से यह महापर्व अत्यंत ही शुभ फलदायक रहेगा

अश्विन शुक्लपक्ष दशमी यानी 11 अक्टूबर 2016, मंगलवार को विजयादशमी पर्व है। इस बार यह पर्व अबूझ मुहूर्त में मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य,बुध लग्न स्थान में एक साथ होने से बुधादित्य योग एवं गुरु से चंद्र पंचम स्थान पर होने से गजकेशरी योग निर्मित हो रहा है।

loksabha election banner

इस दिन श्रवण नक्षत्र भी सूर्यादय से लेकर सायं 7.53 तक रहेगा। रवियोग होने से यह महापर्व अत्यंत ही शुभ फलदायक रहेगा।

विजयादशमी यानी दशहरा सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा अनेक महत्वपूर्ण संदेश देता है। विजय दशमी का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन क्षत्रियों के यहां शस्त्रों की पूजा होती है। वहीं, इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। दशहरा या विजया दशमी नवरात्र के दसवें दिन मनाया जाता है।

दशहरा के दिन अबूझ मुहूर्त है। इसीलिए दशहरे के दिन नए व्यापार या कार्य की शुरुआत करना अति शुभ होता है। यह अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है, इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, स्वर्ण, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है।

दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है। दशहरा के दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।

इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। दशहरा का पर्व समस्त पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, अहंकार, हिंसा आदि के त्याग की प्रेरणा प्रदान करता है दशहरे के दिन सुबह दैनिक कर्म से निवृत होने के पश्चात स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं।

घर के छोटे-बडे़ सभी सदस्य सुबह नहा-धोकर पूजा करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उसके बाद गाय के गोबर से दस गोले अर्थात कण्डे बनाए जाते हैं। इन कण्डो पर दही लगाई जाती है। दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं।

वह जौ दसवें दिन यानी दशहरे के दिन इन कण्डों के ऊपर रखे जाते हैं। उसके बाद धूप-दीप जलाकर, अक्षत से रावण की पूजा की जाती है। विजय दशमी या दशहरे के त्योहार पर अनेक संस्कारों, अनेक संस्करणों को पूर्ण किया जाता है इस त्यौहार के अंतर्गत अनेक प्रकार के रीति-रिवाज़ों का प्रचलन है।

जैसे कृषि -महोत्सव या क्षात्र-महोत्सव, सीमोल्लंघन का परिणाम दिग्विजय तक पहुंचा, शमीपूजन, अपराजितापूजन एवं शस्त्रपूजन जैसी कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक कृतियां की जाती हैं। दशहरे का एक सांस्कृतिक महत्व भी रहा है।

इस समय भारत वर्ष में किसान फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है और उसी शुभ उमंग के अवसर पर वह उसका पूजन करता है। समस्त भारतवर्ष में यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त

प्रात: 10.30 बजे से दोपहर 1. 30 बजे तक।

लाभ अमृत

दोपहर 3 बजे से दोपहर 4. 30 बजे तक।

शाम 7.30 बजे से 9 लाभ

शाम 7. 53 बजे से रात्रि 9.52 बजे तक।

वृषभ लग्न

दशमी तिथि प्रारम्भ 10/अक्टूबर/2016 को रात्रि 10. 52

दशमी तिथि समाप्त 11/अक्टूबर/2016 को रात्रि 10. 26 तक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.