Indira Ekadashi Significance: आज है पितृपक्ष की एकादशी, विष्णु पूजा और श्राद्ध करने से मृतात्माओं को मिलता है मोक्ष
Indira Ekadashi Significance आज यानी 13 सितंबर को अश्विन महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि को इंदिरा एकादशी भी कहा जाता है।
Indira Ekadashi Significance: आज यानी 13 सितंबर को अश्विन महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि को इंदिरा एकादशी भी कहा जाता है। श्राद्ध के दौरान आने से यह इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसदिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाए तो उसका महत्व बहुत ज्यादा होता है और इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने से मृतात्माओं को मोक्ष भी प्राप्त होता है। उपनिषदों के अनुसार, विष्णु जी की पूजा से पितृ संतुष्ट हो जाते हैं। इंदिरा एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है और व्रत भी किया जाता है। अगर इस व्रत को विधि-विधान से किया जाए तो पूर्वजों कों उनके पापों से मुक्ति मिल जाती है। अगर हमारे किसी पूर्वज ने जाने-अनजाने में कोई पाप किया हो और उसके चलते वो यमराज के पास दंड भोग रहे हों तो विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इससे पूर्वजों को करने उन्हें मुक्ति मिल सकती है। आइए ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं कि इस व्रत का क्या महत्व होता है।
इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व:
इस व्रत की सबसे खास बात यह होती है कि यह पितृपक्ष में आती है। इससे इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत करने और इसके पुण्य को पूर्वजों के नाम पर दान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो यह व्रत करता है उसे वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है उसकी सातों पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं। साथ व्रत करने वाले व्यक्ति को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, जितना पुण्य कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या के बाद मिलता है उससे कई अधिक यह व्रत करने से मिलता है।
इस तरह विध-विधान से करें एकादशी व्रत:
- इस एकादशी पर शालिग्राम की पूजा की जाती है।
- इस दिन स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- अगर आप चाहते हैं कि इस व्रत का पुण्य आपके पितरों को भी मिले तो संकल्प के दौरान इस बात को जरूर बोलें।
- फिर भगवान शालिग्राम की पूजा करें। इन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं। पूजा में अबीर, गुलाल, अक्षत, यज्ञोपवित, फूल जरूर रखें। इसके साथ ही तुलसी पत्र भी अर्पित करें। फिर तुलसी पत्र के साथ भोग लगाएं।
- एकादशी व्रत की कथा जरूर पढ़ें। इनकी आरती करें। पंचामृत वितरण कर, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें। पूजा तथा प्रसाद में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल करें।