Move to Jagran APP

गणेश चतुर्थी विशेष : गणपति बप्‍पा की पौराणिक कथा और पूजा का महत्‍व

हिन्दू धर्म में गणेश चुतर्थी का बडा़ महत्‍व है। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्‍म हुआ था। 25 अगस्‍त को मनाई जाने वाली चतुर्थी पर जानें कथा और पूजा का महत्‍व...

By shweta.mishraEdited By: Published: Thu, 24 Aug 2017 02:48 PM (IST)Updated: Thu, 24 Aug 2017 03:53 PM (IST)
गणेश चतुर्थी विशेष : गणपति बप्‍पा की पौराणिक कथा और पूजा का महत्‍व
गणेश चतुर्थी विशेष : गणपति बप्‍पा की पौराणिक कथा और पूजा का महत्‍व

10 द‍िन तक उत्‍सव

loksabha election banner

ह‍िंदू शास्‍त्रों के मुताब‍िक वैसे तो हर माह की चतुर्थी में गणेश जी के व‍िभ‍िन्‍न स्‍वरूपों की पूजा अर्चना होती है लेक‍िन भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। इस चतुर्थी को सर्वप्रथम पूज्‍यनीय भगवान गणेश जी का जन्‍म हुआ था। ज‍िससे पूरे देश में इस द‍िन को गणेशोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र समेत अब देश के कई भागों में गणेश चतुर्थी एक बड़े उत्‍सव के रूप में 10 द‍िन तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर लोग व्रत रखकर व विघ्नहर्ता श्री भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। 

व‍िध‍िव‍त करें पूजा 

मान्‍यता है कि‍ इस खास द‍िन पर गणेश जी की पूजा व‍िध‍िव‍त करने से भगवान गणेश भक्‍तों की परेशान‍ियों को दूर करते हैं। गणेश जी हर मनोकामना पूरी करते हैं। गण्‍ोश चतुर्थी के द‍िन सुबह स्‍नान आद‍ि करके सबसे पहले घर पर एक चौकी रखें। उस पर एक लाल कपड़ा ब‍िछाकर गणेश जी को स्‍थापि‍त करें। जल, सिंदूर, रोली, अक्षत, दूब और फूलों की माला से गणेश जी की पूजा अर्चना करें। इसके बाद गणेश जी को प्रि‍य उनके मोदक का भोग लगाएं। फ‍िर आरती कर अनजाने में हुई गलत‍ियों के ल‍िए क्षमा याचना करें। 

गजमुख से जीव‍ित हुए 

शिवपुराण के मुताबि‍क एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी। उन्‍होंने उबटन के मैल से उत्‍पन्‍न बालक गणेश जी को घर मुख्‍य द्वार पर यह कहकर बैठा द‍िया क‍ि क‍ोई अंदर प्रवेश न करने पाए। ऐसे में जब शि‍व अंदर जाने लगे तो गणेश जी ने उन्‍हें रोक द‍िया। जि‍ससे शि‍व जी को क्रोध‍ आया और उन्‍होंने गणेश जी का स‍िर त्रि‍शूल से काट द‍िया। यह देखकर पार्वती जी ने प्रलय करने की ठान ली। इस पर सभी देवताओं ने उन्‍हें व‍िनती कर शांत कराया। उसके बाद हाथी के बच्‍चे का स‍िर गणेश जी को लगाया गया। गजमुख लगने के बाद गणेश जी जीव‍ित हो गए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.