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पूर्वजों द्वारा अपनाये गए परंपरा को कैसे तोड़े

राजकीय पितृपक्ष मेला महासंगम-2015 में पहले की तुलना में इस बार बुजुर्ग पिंडदानियों की संख्या में युवा पिंडदानियों की संख्या बढ़ी है। जमाना बदल रहा है। हर दिन देश में नये-नये तकनीक की उत्पत्ति हो रही है। पितृपक्ष मेला को हाईटेक कर दिया गया है। आज कोई भी व्यक्ति चाहे

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 03:15 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 03:20 PM (IST)
पूर्वजों द्वारा अपनाये गए परंपरा को कैसे तोड़े

गया। राजकीय पितृपक्ष मेला महासंगम-2015 में पहले की तुलना में इस बार बुजुर्ग पिंडदानियों की संख्या में युवा पिंडदानियों की संख्या बढ़ी है। जमाना बदल रहा है। हर दिन देश में नये-नये तकनीक की उत्पत्ति हो रही है। पितृपक्ष मेला को हाईटेक कर दिया गया है। आज कोई भी व्यक्ति चाहे देश में रहे या विदेश में। वह अपने पूर्वजों का पिंडदान आन लाईन कर सकता है। परंतु, बदलते जमाने के साथ बहुत कम लोग ऐसे है जो अपने पूर्वजों का पिंडदान आन लाइन कर रहे है।

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आज कल की युवा पीढ़ी मानती है कि वह अपने पूर्वजों द्वारा अपनाये गए परंपरा को कैसे तोड़े। उड़ीसा से आए 28 वर्षीय युवा पिंडदानी नवल किशोर अग्रवाल ने कहा कि उनके पिता श्याम लाल अग्रवाल व दादा रामलाल अग्रवाल ने भी गयाजी आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया था। दिल्ली के रोहिणी से आई युवा पिंडदानी विनिता धवन ने कहा कि वह वर्षो से चली आ रही परंपरा को कैसे तोड़ दे। यहां आने की ईच्छा तो नहीं होती है। परंतु क्या किया जाए। मां श्वेता की ईच्छा थी कि गयाजी जाकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करूं। पितृपक्ष मेला में 27 सितम्बर से अबतक तकरीबन दो लाख 30 हजार से अधिक पिंडदानी मोक्ष की नगरी गयाजी में आकर पिंडदान कर चुके है।

आन लाईन से नहीं मिलती है संतुष्टि

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से आए 19 वर्षीय मोहन पांडेय ने कहा कि अगर वह आन लाईन पिंडदान करेंगे तो पहली बात तो उन्हें ही संतुष्टि नहीं मिलेगी। जिस काम का जहां पर महत्व होता है। वहां जाकर संपूर्ण करने में एक अलग ही मजा है। पंजाब के फतेहगढ़ जिला के संघौल गांव से आई कोमल सिंह ने कहा कि यहां आकर वह खुद अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करते है।

दूरवाले करते हैं ऑन लाईन पिंडदान 1पश्चिम बंगाल के कोलकाता से आए प्रलयनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि जो बड़े लोग होते है। उनके पास समय नहीं होता है। वैसे पिंडदानियों के लिए है आन लाईन पिंडदान। जिनके पास समय होता है। वैसे पिंडदानी गयाजी आकर ही पिंडदान करते है। 1तमिलनाड़ु से आए 400 पिंडदानी1आन लाईन पिंडदान करने का कितना महत्व है। इसका सीधा उदाहरण है गयाजी की विभिन्न पिंड वेदियों पर आये हुए लाखों पिंडदानी। इतना ही नहीं तमिलनाड़ु के कई जिलों से करीब 400 पिंडदानी गयाजी में पिंडदान करने के लिए आए हुए है। गुरूवार की सुबह ये लोग गयाजी आकर विष्णुपद स्थित देवघाट, सीताकुंड व अक्षयवट पिंड वेदी पर पिंडदान की। उसके बाद शुक्रवार को प्रेतशिला, रामशिला सहित अन्य पिंड वेदियों पर भी पिंडदान किये। ये लोग होटल, धर्मशाला व माड़नपुर स्थित कपिलधारा के पास किराये के मकान में रह रहे है।


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