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निराश्रित महिलाओं ने जमकर लगाया गुलाल, फेंके फूल

खुशियों की रीति ने शुक्रवार को सामाजिक कुरीति का रंग उड़ा दिया। वृंदावन के आश्रय सदनों की विधवाओं ने सदियों पुरानी परंपरा की बेड़ियों को तोड़ रंगों से होली खेली। पिचकारी से रंग बरसा कर एक- दूसरे को सराबोर किया। राधा- कृष्ण का रूप धारण कर होली गायन, नृत्य और रासलीला की। वर्षो बाद रंगों से होली खेल ि

By Edited By: Published: Sat, 15 Mar 2014 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 15 Mar 2014 03:06 PM (IST)
निराश्रित महिलाओं ने जमकर लगाया गुलाल, फेंके फूल

वृंदावन। खुशियों की रीति ने शुक्रवार को सामाजिक कुरीति का रंग उड़ा दिया। वृंदावन के आश्रय सदनों की विधवाओं ने सदियों पुरानी परंपरा की बेड़ियों को तोड़ रंगों से होली खेली। पिचकारी से रंग बरसा कर एक- दूसरे को सराबोर किया। राधा- कृष्ण का रूप धारण कर होली गायन, नृत्य और रासलीला की। वर्षो बाद रंगों से होली खेल विधवा व निराश्रित महिलाओं के चेहरे खिल उठे।

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सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने शुक्रवार को ज्ञानगूदड़ी स्थित मीरा सहभागिनी महिला आश्रय सदन में पांच आश्रय सदनों की विधवा व निराश्रित महिलाओं के लिए होली महोत्सव आयोजित किया। इसमें करीब एक हजार विधवा व निराश्रित महिलाओं, सैकड़ों स्थानीय महिलाओं तथा अन्य शहरों से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

पहले गुलाल और फूलों से सूखी होली खेली गई। इसमें सबने एक- दूसरे पर जमकर गुलाल व फूल बरसाए। महिलाओं ने सुलभ इंटरनेशनल संस्था के चेयरमैन डॉ. बिंदेश्वरी पाठक को भी गुलाल से रंग डाला। होली के पारंपरिक गीत गाकर नृत्य भी किए। इसके बाद रंग की होली हुई। इसमें निराश्रित महिलाओं ने पिचकारी से रंग बरसाकर सभी को सराबोर कर दिया।

सुलभ इंटरनेशनल संस्था की ओर से 400 किलो फूल, 250 किलो गुलाल और 250 पिचकारियों की व्यवस्था की गई थी। इस अवसर पर एडीएम कानून- व्यवस्था, सुलभ इंटरनेशनल संस्था के चेयरमैन डॉ. बिंदेश्वरी पाठक, मीडिया एडवाइजर मदन झा व अन्य लोग मौजूद रहे।

वृदावन में ज्ञान गुदडी स्थित मीरा सहभागिनी महिला आश्रय सदन में शुक्रवार को विधवा और निराश्रित महिलायें हाली के रंगों से तरबतर हो खुशी से नाचती हुईं।

अरसे बाद खेली रंगों की होली-मीरा सहभागिनी महिला आश्रय सदन में सैकड़ों महिलाओं को कई दशक बाद रंगों की होली खेलने का मौका मिला। पश्चिम बंगाल निवासी मनुघोष 80 वर्ष बाद, अंजना गोस्वामी को 40, आरती मिस्त्री को 35 तथा बासुनीदासी को 36 वर्ष बाद रंगों की होली खेलने का अवसर मिला।


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