गणेशजी ने किया था अहंतासुर का संहार
ज्वाला में असुर भस्म हो गए। पराजित अहंतासुर ने क्षमा मांग ली।
By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2016 03:42 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2016 03:51 PM (IST)
श्री गणेश का धूम्रवर्ण अवतार शिवब्रम्हा स्वरूप है। इनका वाहन भी मूषक है। सूर्यदेव की छींक से अहंतासुर का जन्म हुआ। उसने गणेशजी की कठिन तप की ओर ब्रह्मांड पर राज्य, अमरत्व आरोग्य और अज्ञेय होने का वर पा लिया।
अहंतासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। भगवान विष्णु भी उससे पराजित हो गए। देवता, ऋषि-मुनि पर्वतों में छिपकर रहने लगे। देवताओं की प्रार्थना से धूम्रवर्ण अवतरित हुए।
उन्हें क्रोधित होकर असुर सेना पर अपना उग्र पाश छोड़ दिया। ज्वाला में असुर भस्म हो गए। पराजित अहंतासुर ने क्षमा मांग ली।
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