14 जनवरी से पहले अवश्य कर लें ये उपाय दूर हो जाएगी धन की परेशानी
नियमित रूप से लक्ष्मी आराधना करके आप अर्थिक परेशानियों से भी मुक्ति पा सकते हैं।
ज्योतिष विद्या में सूर्य को पिता का दर्जा दिया गया है पिता यानि जो देता है। सूर्य की वजह से ही धरती पर जीवन संभव है, इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि सूर्य ही एकमात्र ऐसा कारण है जिसने धरती पर इंसानी जीवन को संभव किया। सूर्य, ऊर्जा का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण स्त्रोत भी है। 14 जनवरी को समाप्त हो जाएंगे खरमास, इस दौरान सूर्य की दक्षिणायन होते हैं।।
सूर्य की वजह से खेत-खलिहान लहलहाते हैं, पंछी चहचहाते हैं और हम अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। सूर्य के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। इतना ही नहीं, सूर्य को पवित्रता के साथ भी जोड़ा जाता है।इसका अर्थ तो ये हुआ कि अगर सूर्य नहीं तो पवित्रता नहीं सब कुछ अपवित्र हो जाएगा। इसका स्पष्ट उदाहरण है खरमास जो 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक चलता है, इसे अपवित्र महीना इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान सूर्य की दक्षिणायन होते हैं।
हिन्दू शास्त्रों में खरमास को अशुद्धि का काल यानि अपवित्र समय करार दिया जाता है। इस दौरान आप कोई नया काम शुरू नहीं कर सकते और ना ही किसी शुभ कार्य को पूर्ण कर सकते हैं।
लेकिन इस खरमास से जुड़ी भी एक अजीब कहानी है। उत्तर भारत में खरमास को अपवित्र माह कहा गया है वहीं दक्षिण भारत में इस माह को बेहद पवित्र माना गया है।
इस अपवित्र महीने को अगर आप अपने लिए अनुकूल बनाना चाहते हैं तो आपको कुछ ऐसे शास्त्रीय उपायों का अनुसरण करना चाहिए जो आपको फायदा पहुंचाएं। खरमास के समय तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता है। नियमित रूप से तुलसी पूजा करना और तुलसी के सामने गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।तुलसी के वृक्ष की ग्यारह परिक्रमा नियमित तौर पर करनी चाहिए। परिक्रमा करते-करते “ॐ वासुदेवाय नम:” मंत्र का भी जाप करते रहें।
खरमास के समय प्रात: जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु की मूर्ति का चंदन और दूध के साथ अभिषेक करना चाहिए।खरमास के महीने में आने वाली दोनों एकादशी का व्रत रखें और विष्णु जी को भोग लगाएं। भोग में तुलसी की पत्ती डालना ना भूलें।खरमास के महीने में ब्रह्म मुहूर्त का ध्यान रखें। ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करें और अपने ज्यादातर कार्य इसी समय निपटा लें।सूर्योदय से एक घंटा, छत्तीस मिनट पहले के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है जोकि निश्चित तौर पर सबसे पवित्र समय होता है।इस पूरे माह पीले रंग की अत्याधिक महत्ता होती है, आप भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं, उन्हें पीले फल और फूल का भोग लगाएं और बाद में प्रसाद स्वरूप यह सभी गरीबों में बांट दें।जो लोग कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं, जिन्हें आर्थिक तंगी परेशान कर रही है उन्हंं खरमास के दौरान पीपल के वृक्ष को जल देना चाहिए और सामने घी का दीया जलाना चाहिए।खरमास के दौरान अकेले विष्णु पूजा करना उतना लाभकारी नहीं रहेगा जितना उनके साथ देवी लक्ष्मी की आअराधना करना। नियमित रूप से लक्ष्मी आराधना करके आप अर्थिक परेशानियों से भी मुक्ति पा सकते हैं।