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आस्था के बाजार से घिरा शिव का धाम

भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत की छाती पर अतिक्रमण का पहाड़ बन चुका है। जिस पर्वत की तलहटी में ओंकारेश्वर मंदिर है, वह अवैध निर्माणों से घिरता जा रहा है। पर्वत पर

By Edited By: Published: Thu, 18 Jul 2013 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2013 11:35 AM (IST)
आस्था के बाजार से घिरा शिव का धाम

ओंकारेश्वर [खंडवा]। भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत की छाती पर अतिक्रमण का पहाड़ बन चुका है। जिस पर्वत की तलहटी में ओंकारेश्वर मंदिर है, वह अवैध निर्माणों से घिरता जा रहा है। पर्वत पर 99 प्रतिशत निर्माण अवैध हैं। इनके लिए न तो नगर परिषषद से अनुमति ली गई है और न ही प्रशासन से।

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ओंकार पर्वत पर भवन ही नहीं, मठाधीशों के आश्रम और गेस्ट हाउस तक बन गए हैं। ओंकारेश्वर बांध के अलावा ये अवैध निर्माण भी पर्वत के लिए खतरा बन गए हैं। अवैध निर्माणों को हटाना तो दूर की बात प्रशासन इन्हें रोकने तक की जहमत नहीं उठा रहा है। पिछले माह उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा में ज्यादा तबाही की एक वजह नदी किनारे अतिक्रमण भी रहा और इससे सबक लेने की जरूरत है।

पौराणिक ओंकार पर्वत 144 हेक्टेयर में फैला है। ओंकारेश्वर नगर परिषषद क्षेत्र में आबादी की भूमि 39.56 एकड़ है। इसके अलावा 41 हेक्टेयर निजी भूमि है, जिसमें खेती की जमीन भी शामिल है। तीर्थस्थल होने के बावजूद यहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। ओंकारेश्वर नगर परिषषद क्षेत्र से लगी वन भूमि पर भी अवैध कब्जे होने लगे हैं। यहां फोकटपुरा बस्ती के कई मकान वन भूमि पर बनते जा रहे हैं। ओंकारेश्वर से मांधाता की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर अब बिल्डर भी कॉलोनियां काट रहे हैं। पर्यावरणीय और धार्मिक दृष्टि से यह निर्माण भी दुखदायी साबित होने वाले हैं।

पर्वत को नुकसान क्यों-

ओम की आकृति होने के कारण ही इस पर्वत को ओंकार पर्वत कहा जाता है। ओंकारेश्वर बांध के ठीक सामने और नीचे की ओर ओंकार पर्वत का चंद्र बिंदु स्थित है। यह नर्मदा नदी के बहाव की दिशा में है। बांध से तेज बहाव के साथ निकलने वाला पानी इसी पर्वत के चंद्र बिंदु पर आकर टकराता है। इससे पर्वत को लगातार नुकसान हो रहा है। बताया जाता है कि बांध निर्माण से पहले पर्वत की चट्टानों को जांचने के लिए निर्माण एजेंसी ने खुदाई भी की थी। इससे भी पर्वत को नुकसान पहुंचने की आशंका है।

ओंकारेश्वर मंदिर और नर्मदा के दक्षिण तट पर आबादी की भूमि पर मकान और दुकानें ही नहीं, बड़े -बड़े होटल और धर्मशालाएं भी बन गई हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने ओंकारेश्वर को पवित्र नगरी घोषिषत किया है लेकिन इसकी पवित्रता पर भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है। तीर्थ नगरी बाजार में तब्दील होती जा रही है। यहां बस स्टैंड से लेकर नदी किनारे तक सैकड़ों दुकानें बन चुकी हैं। पुल के उस पार से लेकर ओंकारेश्वर मंदिर का रास्ता भी दुकानों से पटा है। दर्शनार्थियों को दुकानों के कारण मंदिर तक जाने में भी दिक्कत होती है।

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