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Ekadashi Shradh 2019: इस मुहूर्त में करें एकादशी श्राद्ध, पितरों की आप पर बरसेगी कृपा

Ekadashi Shradh 2019 पितृ पक्ष में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है इसे एकादशी श्राद्ध कहते हैं।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 11:27 AM (IST)
Ekadashi Shradh 2019: इस मुहूर्त में करें एकादशी श्राद्ध, पितरों की आप पर बरसेगी कृपा
Ekadashi Shradh 2019: इस मुहूर्त में करें एकादशी श्राद्ध, पितरों की आप पर बरसेगी कृपा

Ekadashi Shradh 2019: पितृ पक्ष में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, इसे एकादशी श्राद्ध कहते हैं। कई जगहों पर एकादशी श्राद्ध को ग्यारस श्राद्ध भी कहा जाता है। जिन लोगों के परिजनों की मृत्यु एकादशी तिथि को हुई होती है, उनका श्राद्ध एकादशी तिथि के दिन ही किया जाता है। परिजनों का निधन कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की किसी भी एकादशी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध आश्विन एकादशी को होता है।

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पितृ पक्ष श्राद्ध का प्रारंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से हुआ था, जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलेगा। श्राद्ध कर्म के लिए निर्धारित पितृ पक्ष की यह अवधि कुल 16 दिनों का होता है।

श्राद्ध के लिए उत्तम समय

मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध का उत्तम समय कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त आदि होता है। ऐसे समय में ही अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाना चाहिए।

एकादशी श्राद्ध का मुहूर्त

एकादशी तिथि का प्रारंभ 24 सितंबर को शाम 04 बजकर 42 मिनट से हो गया था। इस तिथि का अंत दोपहर 02 बजकर 09 मिनट पर होगा।

कुतुप मुहूर्त का समय - दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक।

रोहिणी मुहूर्त का समय - दोपहर 12 बजकर 54 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक।

अपराह्न काल- दोपहर 01 बजकर 43 मिनट से शाम 04 बजकर 08 मिनट तक।

श्राद्ध की विधि

पितृ-पक्ष में अपने पितरों का ध्यान कर नीचे लिखे मन्त्र से जल में सफ़ेद फूल और काला तिल डालकर 15 दिन नित्य दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्रद्धापूर्वक जल देने से सुख-शान्ति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।।

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

पितर: पितरो त्वम तृप्तम भव पित्रिभ्यो नम:।।

जल देने के बाद अन्तरिक्ष की ओर हाथ ऊपर करके प्रणाम करते हुए पितरों की श्रद्धा पूर्वक स्तुति करनी चाहिए।


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