Dussehra 2021: सत्य की जीत- सत्य की शक्ति से असत्य को धराशायी करें
Dussehra 2021 भगवान श्रीराम ने सदैव सत्य के मार्ग का अनुसरण किया। सत्य ही धर्म है। इसीलिए उनका मार्ग धर्म का मार्ग कहलाया। नीति का मार्ग कहलाया। उन्होंने सत्य की शक्ति से असत्य को धराशायी किया। रावण ने असत्य और छल का मार्ग अपनाकर स्वयं के नाश को आमंत्रित किया।
Dussehra 2021: सत्य सदैव विजयी होता है और सत्य के पथ का अनुगमन करने वाला विजेता बनता है। सत्य की शक्ति अलौकिक होती है। उसमें असीम ऊर्जा समाहित रहती है। सत्य के आलोक में व्यक्ति का व्यक्तित्व अद्भुत हो जाता है। सत्य का आचरण करने वाला सदैव आत्मविश्वास से भरा रहता है। उसे भय स्पर्श भी नहीं कर पाता। उसका मस्तक सदैव ऊंचा रहता है। सत्य के मार्ग में विपत्तियां अवश्य आती हैं। यह मार्ग कांटों से भरा हुआ होता है, परंतु इसमें चलने वाले पथिक को जो आनंद प्राप्त होता है, वह अनिर्वचनीय है।
भगवान श्रीराम ने सदैव सत्य के मार्ग का अनुसरण किया। सत्य ही धर्म है। इसीलिए उनका मार्ग धर्म का मार्ग कहलाया। नीति का मार्ग कहलाया। उन्होंने सत्य की शक्ति से असत्य को धराशायी किया। रावण ने असत्य और छल का मार्ग अपनाकर स्वयं के नाश को आमंत्रित किया। स्पष्ट है कि असत्य का मार्ग नाश का मार्ग है। असत्य के बलवान होने पर भी एक समय आता है जब वह असहाय हो जाता है।
रावण के एक लाख पुत्र और सवा लाख नाती होने के बावजूद वह श्रीराम से युद्ध हार गया। उसके कुल का समूल नाश हो गया। उसके घर में बाती जलाने वाला कोई न रहा। वह समय रहते सत्य की शक्ति को जो जान न सका। सत्य को असहाय समझना उसकी मूर्खता थी।
श्रीराम सत्य के अनुगामी रहे। उन्होंने सत्य की जीत के लिए अपनी सभी क्षमताओं का प्रयोग किया। रावण के दिग्गज वीर योद्धा, श्रीराम की वानर सेना के सम्मुख टिक न सके। विजयदशमी का पर्व प्रतिवर्ष हमें सत्य की जीत का आभास दिलाता है। हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में सत्य के मार्ग को आत्मसात करें।
हजारों वषों के बाद भी सत्य का प्रभाव कम नहीं होता, अपितु उसका उत्कर्ष बढ़ता ही चला जाता है। सत्य प्रेरणा बनकर हमारे जीवन को आलोकित करता है। हम सत्य को आधार बनाकर ही जीवन को सफल बना सकते हैं।
ललित मोहन राठौर