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Motivational Stories: क्या आप भी करते हैं दूसरों की निंदा, यह प्रेरक कथा पढ़ सोचने पर हो जाएंगे मजबूर

Motivational Stories निंदा। एक ऐसा शब्द है जिसमें इंसान की स्वयं की कमियां छिपी होती हैं। यदि आप भी दूसरों की निंदा करते हैं तो जागरण अध्यात्म में आज हम आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बता रहे हैं जिसे पढ़कर आप एक बार सोचने पर विवश हो जाएंगे।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 01:30 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 01:30 PM (IST)
Motivational Stories: क्या आप भी करते हैं दूसरों की निंदा, यह प्रेरक कथा पढ़ सोचने पर हो जाएंगे मजबूर

Motivational Stories: निंदा। एक ऐसा शब्द है, जिसमें इंसान की स्वयं की कमियां छिपी होती हैं। वह दूसरे की निंदा करता है, निंदा रस का आनंद लेता है, लेकिन वह स्वयं के बारे में नहीं सोचता। कई बार हम अपनी गलत सोच या नासमझी के कारण भी ऐसा करते हैं। यदि आप भी दूसरों की निंदा करते हैं तो जागरण अध्यात्म में आज हम आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बता रहे हैं, जिसे पढ़कर आप एक बार सोचने पर विवश हो जाएंगे।

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एक नगर में एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था। वह पुराना कमरा बदल करके नए घर में रहने के लिए पहुंचा। उसके सभी सामान व्यवस्थित कर दिए गए थे। उसके मकान के सा​मने ही एक और मकान था। उसके घर की मुख्य खिड़की से दूसरे घर की छत दिखाई देती थी।

अगली सुबह उस व्यक्ति की पत्नी ने उससे कहा कि देखो, सामने वाली छत पर कितने मैले कपड़े फैलाए गए हैं। लगता है, उन लोगों को सही से अपने कपड़े साफ करना भी नहीं आता। पति ने पत्नी की बात अनसुनी कर दी। कुछ दिन बीत गए। फिर एक दिन पत्नी ने पति से यही बात कही।

पति ने इस बार पत्नी की बात सुन ली, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पत्नी सोचने लगी कि ये कुछ बोलते क्यों नहीं हैं। कुछ दिनों बाद वे दोनों उसी खिड़की के पास बैठ करके नाश्ता कर रहे थे। पत्नी की नजर हमेशा की तरह सामने वाली छत पर गई और वह चहक उठी। उसने बोला, 'अरे, आज सूरज पश्चिम से उग आया क्या? लगता है आज किसी और ने कपड़े धोए हैं। कितने साफ कपड़े धोए हैं।'

पत्नी की बातें सुनकर पति मुस्कुराने लगा। उसने पत्नी से बोला, उनके कपड़े जैसे पहले धुलते थे, वैसे ही धुले हैं। दरअसल, हमारी खिड़की का शीशा ही गंदा था, जिसे आज सुबह उठकर मैंने साफ कर दिया। पति की यह बात सुनकर पत्नी लज्जित हो गई। वह सोचने लगी कि वह तो बेकार में ही सामने वाली की निंदा करती रही, कमी तो उसके में ही थी। कमरे की खिड़की तो उसकी ही गंदी थी।

कथा का सार

किसी दूसरे की निंदा या आलोचना करने से पहले हमें अपने भीतर झांक कर देख लेना चाहिए, ताकि बाद में स्वयं को शर्मिंदा ना होना पड़े।


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