पितरों की याद में जले दीप और मनी दीवाली
गयाधाम के विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर रविवार को उत्सव का माहौल देखने को मिला। अवसर था पितृ दीपावली का। दोपहर बाद लगातार हो रही बारिश के बावजूद गयाधाम पधारे पिंडदानियों ने अपने-अपने पूर्वजों को याद कर उनके नाम का दीप जलाए। उन दीपक को देवघाट पर बहुत सुंदर और कर्षक तरीके से सजाने की कोशिश की गई। लेकि
गया नगर। गयाधाम के विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर रविवार को उत्सव का माहौल देखने को मिला। अवसर था पितृ दीपावली का। दोपहर बाद लगातार हो रही बारिश के बावजूद गयाधाम पधारे पिंडदानियों ने अपने-अपने पूर्वजों को याद कर उनके नाम का दीप जलाए। उन दीपक को देवघाट पर बहुत सुंदर और कर्षक तरीके से सजाने की कोशिश की गई। लेकिन बारिश बराबर बाधक बन रही थी।
पितृ दीपावली को लेकर पिंडदानियों में एक अलग प्रकार का उत्साह देखा गया। कुछ पिंडदानियों ने घी व तेल के दीपक को जलाकर पवित्र फल्गु नदी में छोड़े। मानो पवित्र फल्गु नदी में दीपावली को लेकर दीपक से सजाया गया है। इस क्षण को उपस्थित पिंडदानी एवं सनातन धर्म को मनाने लोग खुले नयन से देखकर काफी नंदित हो रहे थे। वहीं कुछ लोग इस दृश्य को अपने-अपने कैमरे में कैद कर रहे थे। देवघाट पर इस तरह दीपावली जो सिर्फ पितृपक्ष मेला के त्रेयादशी तिथि को ही मनायी जाती है।
इसके बाद प्रतिज्ञा संस्था की ओर से देवघाट पर फल्गु महारती का योजन किया गया। पितृ दीपावली और फल्गु महारती दोनों का उपस्थित पिंडदानियों व स्थानीय लोगों ने नंद लिया। झमाझम बारिश के बाद भी देवघाट पर दीपावली और महारती को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी। श्रद्धालुओं की उपस्थिति से देवघाट का कोना-कोना पटा हु था। जो श्रद्धालु जहां खड़े थे। वहीं से यह दृश्य देखने को तत्पर थे। इस क्षण को कोई छोड़ना नहीं चाहते थे।
पितृपक्ष मेला में नगर विकास परिषद ने रेलवे स्टेशन परिसर में सहायता सह सेवा शिविर लगाया है। परिषद के कैम्प में एक सबसे बड़ी बात रही कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख एवं इसाई धर्म के मानने वाले एक मंच से पितृपक्ष मेला में ने वाले पिंडदानियों की 24 घंटे सेवा की।
सेवा भाव में कहीं से भी सम्प्रदाय की भावना बाधक नहीं बनी। 24 घंटे हर सम्प्रदाय के लोगों ने रात भर जग कर पिंडदानियों को पंडा से मिलाने, गंतव्य स्थान तक पहुंचाने एवं बिछड़े पिंडदानियों को एक-दूसरे मिलाने का काम किया है।
बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ अपने नाम के अनुरूप सेवा के लिए जाना जाता है। चाहे तीर्थयात्री की सेवा हो या फिर देश में पदा-विपदा की बात ती हो। शिक्षा से लेकर चिकित्सा तक सेवा के लिए यहां के संन्यासी भारतीय सभ्यता, संस्कृति का उदाहरण प्रस्तुत किए है। उक्त बातें महालया के उपलक्ष्य में रविवार को शहर के स्वराजपुरी रोड स्थित हिन्दू धर्म शिक्षा सांस्कृतिक सम्मेलन वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद सभापति श्री सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि दूसरी बार भारत सेवाश्रम संघ को सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यहां ने के बाद सकारात्मक विचार का समावेश होता है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित पिंडदानियों को कहा कि राज्य सरकार पितृपक्ष मेला में बेहतर देने का प्रयास किया है। लेकिन इसके बाद भी अगर कोई त्रुटि रह गई होगी तो राज्य सरकार की ओर से क्षमा मांगते है।
उस त्रुटि को अगले वर्ष सुधारने का प्रयास की जाएगी। श्रम संसाधन मंत्री दुलाल चंद गोस्वामी ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ पूरे दुनिया में सेवा के लिए जाना जाता है।