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Char Dham Yatra 2023: इस दिन खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, जानिए तिथि और शुभ समय

Char Dham Yatra 2023 हिन्दू धर्म में बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थल माना जाता है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तरीख का ऐलान हो चुका है। आइए जानते हैं कब से शुरू हो रही है बद्रीनाथ धाम यात्रा और कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sat, 28 Jan 2023 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 12:14 PM (IST)
Char Dham Yatra 2023: इस दिन खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, जानिए तिथि और शुभ समय
Char Dham Yatra 2023: इस दिन से भक्तों को दर्शन देंगे नर-नारायण भगवान।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Char Dham Yatra 2023: हिन्दू धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष एक निश्चित अवधि के लिए चार धाम यात्रा का शुभारंभ होता है। जिनमें से बद्रीनाथ धाम यात्रा को विशेष जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का प्रमुख निवास स्थल माना जाता है। इस वर्ष बद्रीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से और शुभ मुहूर्त में 27 अप्रैल 2023, गुरुवार (Badrinath Dham Yatra 2023 Start Date) के खुलेंगे। गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा की तिथि 12 अप्रैल 2023, बुधवार निर्धारित की गई है। बता दें कि बद्रीनाथ धाम को धरती का वैकुंठ धाम कहा जाता है। मान्यता है कि 6 मास विश्राम के समय भगवान विष्णु यहीं निवास करते हैं। आइए जानते हैं बद्रीनाथ धाम कपाट खुलने का समय और शुभ मुहूर्त।

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बद्रीनाथ धाम कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त (Badrinath Dham Yatra 2023)

बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 जनवरी 2023, गुरुवार सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। इस दिन गुरु पुष्य योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि बीते साल 19 नवंबर 2023 के दिन बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद किए थे।

बद्रीनाथ धाम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के तट पर दो पर्वतों के बीच स्थित है, जिनके नाम नर और नारायण हैं। इस धाम में भगवान विष्णु के 24 स्वरूपों में से एक नर-नारायण भगवान की पूजा की जाती है। कपाट खुलने के सन्दर्भ में बात करें तो इस धाम के कपाट तीन चाबियों से खोले जाते हैं और तीनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास सुरक्षित रखी जाती है। द्वार बंद करते समय भगवान विष्णु के शालग्रामशिला से बनी मूर्ति पर घी का लेप लगाया है। कपाट खुलने के बाद यदि श्रीहरि की प्रतिमा पर घी यथास्थिति में है तो यह साल सभी के लिए खुशियों से भरा रहेगा, ऐसी मान्यता है। लेकिन घी सूखा हुआ है तो इसे संकट या सूखा का संकेत माना जाता है।

बद्रीनाथ धाम में नहीं बजाया जाता है शंख

बद्रीनाथ धाम में शंख बजाने पर रोक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी बद्रीनाथ धाम में बने तुसली भवन में तप में लीन थीं। उसी दौरान भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नमक दैत्य का वध किया था। विजय के उपरांत शंख नाद करने की परम्परा बहुत पुरानी। लेकिन भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की तपस्या भंग नहीं करना चाहते थे, जिस वजह से उन्होंने शंखनाद नहीं किया। तब से लेकर यहां शंख नहीं बजाया जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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