Chanakya Niti: विनाश के समय व्यक्ति को किस तरह व्यवहार करना चाहिए, आचार्य चाणक्य से जानिए
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा को आज भी लाखों युवाओं द्वारा पढ़ा जाता है। चाणक्य नीति में बताया गया है कि व्यक्ति को विनाश यानि खराब समय में कैसा व्यवहार करना चाहिए।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chanakya Niti: जीवन में ज्ञान व सभी महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है। यह न केवल व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से बचाती है, बल्कि इससे व्यक्ति अपनी और अपने परिवार की रक्षा विनाश अर्थात खराब समय में भी कर सकता है। आचार्य चाणक्य की नीतियां व्यक्ति को उन्हीं महत्वपूर्ण ज्ञान से अवगत कराती है। चाणक्य नीति में न केवल राजनीति, कूटनीति इत्यादि के विषय में बताया गया है, बल्कि इसमें आचार्य चाणक्य ने उन विषयों को भी बताया है, जिनसे व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है, साथ ही वह किस तरह बुरे समय में अपनी रक्षा कर सकता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य की नीतियों का श्रवन और पाठन वर्तमान समय भी अनगिनत युवाओं द्वारा किया जा रहा है। यह न केवल उनका मार्गदर्शन कर रही है, बल्कि उन्हें सफलता प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर रही है। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि व्यक्ति को विनाश यानि बुरे वक्त में कैसा व्यवहार करना चाहिए।
चाणक्य नीति से जानिए विनाश के दौरान व्यक्ति को कैसा व्यवहार करना चाहिए (Chanakya Niti in Hindi)
न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरङ्गी ।
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः ।।
अर्थात- स्वर्णमृग न तो कभी किसी ने बनाई है और न ही किसी ने देखा है। और ना ही सोने के हिरण के विषय में किसी ने सुना है। फिर भी श्री राम की तृष्णा देखिए! वास्तव में विनाश के समय पर बुद्धि विपरीत हो जाती है।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में रामायण के उस छंद का उदहारण दिया है, जिसमें माता सीता को वन में सोने का हिरण दिखाई देता है और वह श्री राम से उसे पकड़ने के लिए कहती हैं। लेकिन क्या वास्तव में सोने का हिरण होता है, क्या किसी ने ऐसा हिरण देखा भी है? इसका उत्तर साफ और स्पष्ट 'नहीं' है। लेकिन यह जानते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम उस हिरण का पीछा करते हुए वन की तरफ चले जाते हैं। इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह हम सभी जानते हैं। इसलिए यह बात सही है कि विनाश के समय व्यक्ति का दिमाग विपरीत दिशा में चलने लगता है। इसलिए उसे हर समय अपने मन और मस्तिष्क पर काबू रखना चाहिए। साथ ही आवेश में आकर ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए जिससे उसके कुल व समाज का नाम नीचा हो। हम सभी को अपने इतिहास से शिक्षा लेकर वह भूल नहीं दोहरानी चाहिए।
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