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    Bhandara: यूं ही नहीं करते भंडारा, मिलते हैं ये लाभ, पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा

    Updated: Mon, 10 Jun 2024 01:56 PM (IST)

    सनातन धर्म में अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। इसलिए धार्मिक अनुष्ठान के बाद भंडारा (Bhandara) का आयोजन किया जाता है। भंडारा में खाने की चीजों का दान किया जा सकता है। मान्यता है कि मृत्युलोक में भंडारा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं क्यों आखिर क्यों किया जाता है भंडारा

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    Bhandara: यूं ही नहीं करते भंडारा, मिलते हैं ये लाभ, पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhandara: सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्य या फिर किसी पर्व के अवसर पर भंडारा किया जाता है। भंडारा को एक तरह का दान माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मांगलिक कार्य के बाद भंडारा करने से किए गए कार्य में जातक को सफलता प्राप्त होती है। क्या आपको पता है कि किस तरह भंडारा करने की परंपरा शुरू हुई। अगर नहीं पता, तो आइए इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।

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    इस तरह हुई भंडारा करने की शुरुआत

    पौराणिक कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा स्वेत परलोक में पहुंचने पर उन्हें अधिक भूख लगने लगी, लेकिन उन्हें कुछ खाने को नहीं मिला। जब उन्होंने भोजन मांगा, तो किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। इसके पश्चात राजा स्वेत की आत्मा ने ब्रह्मदेव से पूछा कि आखिर क्यों राजा को भोजन नहीं दिया जा रहा है। इसके जवाब में ब्रह्म देव ने कहा कि आप भले ही राजा रहे हों, लेकिन आपने जीवन में कभी अन्न दान नहीं किया। इसी वजह से आपको परलोक में आने के बाद भोजन नहीं मिलेगा। इसके बाद राजा ने आने वाली नई पीढ़ी को सपने में आकर अन्न का दान करने के लिए कहा। तभी से भंडारे करने की प्रथा की शुरुआत हुई।  

    भंडारा करने से मिलते हैं ये लाभ

    • धार्मिक अनुष्ठान के बाद भंडारा करने से पूजा सफल मानी जाती है।
    • भंडारा करने से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती है।  
    • इसके अलावा मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है।  
    • भंडारा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और धन की कमी का कभी भी सामना नहीं करना पड़ता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।