Bhai Dooj Katha: क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार, पढ़ें यम-यमी तथा नरकासुर की कथा
Bhai Dooj Katha धनतेरस से शुरू होने वाला दिवाली उत्सव भाई दूज पर समाप्त होता है। भाई दूज शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर आता है। पढ़ें भाई दूज की पौराणिक कथाओं के बारे में जो इसके महत्व को बताते हैं।
Bhai Dooj Pauranik Kathayen: धनतेरस से शुरू होने वाला दिवाली उत्सव भाई दूज पर समाप्त होता है। भाई दूज शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर आता है। पढ़ें भाई दूज की पौराणिक कथाओं के बारे में, जो इसके महत्व को बताते हैं। यह भाई के लिए बहन के प्यार को चिह्नित करता है। इस दिन बहन अपने भाई के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती है। साथ ही बहनें अपने भाइयों को अच्छा भोजन भी खिलाती हैं। फिर भाई अपनी बहन को उपहार भी देते हैं। इस दिन के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है। आइए ज्योतिष जे.वी.पिलई से जानते हैं इसके पीछे कौन-सी पौराणिक कथा छिपी है।
भाई दूज की पौराणिक कथा:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और उसके बाद अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। सुभद्रा ने श्री कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और गले में माला डालकर स्वागत किया। सुभद्रा ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना की। इस कथा के अलावा इस दिन के पीछे यम और यमी की कहानी भी है। आइए पढ़ते हैं यह कथा।
यम और यमी की कहानी:
हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है कि इस दिन भगवान यम लंबे समय के बाद अपनी बहन यमी से मिले थे। यमी अपने भाई यम से मिलकर बेहद खुश हुई थीं और उनका स्वागत आरती और मालाओं से किया था। साथ ही उनके माथे पर सिंदूर का तिलक लगाया था। फिर यमी ने यम के लिए एक शानदार दावत का आयोजन किया था। यम ने पूरा दिन अपनी बहन के साथ खुशियों में बिताया और घोषणा की कि जब कोई भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा तो उसे लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।
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