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पहले फल फिर पत्थरों से खेला बग्वाल

देश-विदेश में प्रसिद्ध देवीधुरा के बाराही मंदिर में खेले जाने वाले पौराणिक पाषाण युद्ध की बुधवार को नई शुरुआत हुई। सैकड़ों वर्ष पुराने बग्वाल मेले के इतिहास में यह पहला मौका था जब चारों खामों के रणबांकुरों ने पत्थरों के बजाय फलों से बग्वाल खेला। युद्ध के चरम पर पहुंचते ही उत्साही रणबां

By Edited By: Published: Wed, 21 Aug 2013 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2013 09:56 PM (IST)

चंपावत, जागरण संवाददाता। देश-विदेश में प्रसिद्ध देवीधुरा के बाराही मंदिर में खेले जाने वाले पौराणिक पाषाण युद्ध की बुधवार को नई शुरुआत हुई। सैकड़ों वर्ष पुराने बग्वाल मेले के इतिहास में यह पहला मौका था जब चारों खामों के रणबांकुरों ने पत्थरों के बजाय फलों से बग्वाल खेला। युद्ध के चरम पर पहुंचते ही उत्साही रणबांकुरों ने चार मिनट बाद ही पत्थरों से प्रहार करना शुरू कर दिया। करीब 80 रणबांकुरों सहित कई दर्शक भी घायल हुए। मेले का रोमांच अंतिम समय तक बना रहा। बग्वाल को लेकर मंदिर कमेटी व प्रशासन सुबह से ही सक्रिय थे।

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उत्तराखंड में नैसर्गिक सौंदर्य के साथ ही आस्था का केंद्र बाराह रूप की देवी मां बाराही मंदिर में रक्षाबंधन पर्व पर बग्वाल मेले में पाषाण युद्ध का अनूठा नजारा देखने को मिला। चार खामों में होने वाले इस युद्ध में सबसे पहले छत्र (फर्रे) लहराते हुए वालिक खाम मंदिर परिसर में पहुंचा। परिक्रमा पूरी होते ही गहड़वाल खाम मां बाराही का जयकारा लगाते हुए पहुंचा। फिर चम्याल व लमगड़िया खाम जोशखरोश के साथ मैदान में पहुंचे और चारों खामों के प्रमुखों की मंत्रणा हुई। इसके बाद बाराही मंदिर के पुजारी ने शंखनाद के साथ अपरान्हं 2.15 बजे बग्वाल खेलने का आदेश दिया। देखते ही देखते खोलीखांण दुर्वाचौड़ मैदान में फलों (नाशपातियों) की बौछार होने लगी। चारों खामों के रणबांकुरे दो भागों में (लमगड़िया व वालिक और गहड़वाल व चम्याल) विभक्त होकर एक-दूसरे पर जमकर नाशपातियां बरसा रहे थे। चार मिनट के बाद कुछ रणबांकुरे जोश में आकर पत्थर बरसाने लगे। लगभग नौ मिनट तक चली बग्वाल में 80 रणबांकुरे और कई दर्शक भी घायल हो गए।

पीतांबर वस्त्र धारण किए मां बाराही के पुजारी धर्मानंद ने मैदान में पहुंचकर युद्ध विराम की घोषणा की। इसके बाद भी दो-तीन मिनट तक बग्वाल चलता रहा। पत्थर युद्ध न होने देने के लिए मंदिर कमेटी और प्रशासन सुबह से सक्रिय था। इसी के चलते बग्वाल की शुरुआत नाशपाती प्रहार से हुई लेकिन कुछ मिनट के लिए जो पत्थर चले उससे जिम्मेदार लोग असहज नजर आए।

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