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गंगष्टमी पर हरमुख गंगबल में पंडितों ने किया श्राद्ध-तर्पण

धरती पर आज ही के दिन पावन गंगा के अवतरण को कश्मीरी पंडित समुदाय गंगष्टमी के रूप में मनाया। हर परिवार में श्रद्धापूर्वक मां गंगा की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। गंगष्टमी के अवसर पर पंडितों ने हरमुख गंगबल झील पर हवन-यज्ञ कर श्रद्धापूर्वक पितरों की आत्मिक शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण किया।

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 03:08 PM (IST)
गंगष्टमी पर हरमुख गंगबल में पंडितों ने किया श्राद्ध-तर्पण

जम्मू, जागरण संवाददाता। धरती पर आज ही के दिन पावन गंगा के अवतरण को कश्मीरी पंडित समुदाय गंगष्टमी के रूप में मनाया। हर परिवार में श्रद्धापूर्वक मां गंगा की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। गंगष्टमी के अवसर पर पंडितों ने हरमुख गंगबल झील पर हवन-यज्ञ कर श्रद्धापूर्वक पितरों की आत्मिक शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण किया। सोमवार को ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नारान नाग से हरमुख गंगबल यात्रा शुरू हुई थी, जो देर शाम गंगबल पहुंच गई।

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हरमुख गंगबल ट्रस्ट के बैनर तले काफी संख्या में गंगबल पहुंचे श्रद्धालुओं ने सुबह मंगलवार को भगवान शिव की जटाओं जैसे पहाड़ों के बीच स्थित गंगबल झील के दर्शन किए। ट्रस्ट के सदस्यों ने प्राकृतिक सौंदर्य के बीच हवन यज्ञ का आयोजन किया। हवन-यज्ञ के साथ ही विस्थापन के पच्चीस वर्षो में मृत्यु को प्राप्त हो चुके पंडित समुदाय के सदस्यों का सामूहिक श्राद्ध-तर्पण किया। हरमुख गंगबल झील में अस्थियां प्रवाह करने की भी प्रथा है। माना जाता है कि हरमुख गंगबल झील का महत्व गंगा के समान है इसलिए इस झील में अस्थियों के प्रवाह करने से मनुष्य की मुक्ति उसी तरह से होती है, जैसे गंगा में हरिद्वार में अस्थियां प्रवाह कर मन को शांति मिलती है। पंडित सदियों से गंगबल में अस्थियों के प्रवाह के लिए टोलियों में आया करते थे और अस्थियों का विसर्जन किया करते थे। उसी प्रथा को पुन: जीवंत करने के लिए हरमुख गंगबल ट्रस्ट हरसंभव प्रयास कर रहा है। सभी प्रकार की विषमताओं को पार करते हुए ट्रस्ट के सदस्य श्रद्धालुओं को गंगबल में गंगष्टमी के दिन पितरों के श्राद्ध तर्पण के लिए लाते हैं। छह वर्ष पहले मात्र चंद श्रद्धालुओं से शुरू की गई यात्रा में अब सैंकड़ों श्रद्धालु अपने परिवार के सदस्यों के श्राद्ध-तर्पण के लिए आते हैं।

ट्रस्ट के महासचिव विनोद पंडित का कहना है कि पंडित गंगष्टमी के अवसर पर पितरों के श्राद्ध-तर्पण को बहुत महत्व देते हैं इसलिए उनका यह कार्यक्रम चलता ही रहेगा।

द्रुबड़ी व्रत पर उल्लास से मनाया राधा का जन्मोत्सव

जम्मू, जागरण संवाददाता। महिलाओं ने श्रद्धा व आस्था के साथ दु्रबड़ी व्रत पर भगवान कृष्ण व राधा की पूजा-अर्चना कर बच्चों की दीर्घायु और परिवार की सुख समृद्धि की दुआ मांगी। महिलाओं ने मंदिरों में पूजा अर्चना भी की। द्रुबड़ी का व्रत राधा के जन्म पर मनाया जाता है। जम्मू में भी महिलाएं द्रुबड़ी का पर्व बड़े ही धार्मिक भावना से व आस्था से मनाती हैं। महिलाएं मिष्ठान व मीठे रोट बना कर राधा का जन्मदिन उल्लास से मनाती हैं। महिलाओं ने राधा कृष्ण मंदिरों में राधा-कृष्ण की पूजा की। राधा-कृष्ण के मंदिर रानी तालाब में भी काफी संख्या में महिलाएं मंगलवार सुबह मंदिर में एकत्रित हुई। सुंदर परिधानों में सजकर महिलाओं ने रोट से सजी थालियां भगवान कृष्ण व राधा के समक्ष रखकर भोग लगाया। सभी ने रोट परिवार की आवश्यकता के अनुसार ही भगवान को अर्पित किए।

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