हरमुख गंगबल यात्रा शुरू
गांदरबल जिले की कंगन में स्थित ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नारान नाग से गंगबल छड़ी पूजन के साथ हरमुख गंगबल यात्रा धार्मिक श्रद्धा व आस्था के साथ भगवान शिव के जयकारे लगाते हुए गंगबल झील के लिए रवाना हो गई। मंगलवार को पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण किया जाएगा। मानव समाज में सुख शांति के ि
जम्मू, जागरण संवाददाता। गांदरबल जिले की कंगन में स्थित ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नारान नाग से गंगबल छड़ी पूजन के साथ हरमुख गंगबल यात्रा धार्मिक श्रद्धा व आस्था के साथ भगवान शिव के जयकारे लगाते हुए गंगबल झील के लिए रवाना हो गई। मंगलवार को पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण किया जाएगा। मानव समाज में सुख शांति के लिए हवन-यज्ञ भी किया जाएगा।
सौ वर्षो के बाद शुरू हरमुख गंगबल यात्रा का आयोजन हरमुख गंगबल ट्रस्ट की ओर से किया गया है। हालांकि, यात्रा की शुरुआत छह वर्षो से वर्ष 2009 में ऑल पार्टीज माइग्रेंट्स कोआर्डिनेशन कमेटी ने की थी। हरमुख गंगबल दुर्गम पहाड़ों की रेंज के बीच 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित गंगबल झील पर अपने पितरों का श्राद्ध-तर्पण करने के लिए देशभर से आए श्रद्धालु सोमवार सुबह नारान नाग मंदिर में एकत्रित हो गए। इससे पहले वह श्रीनगर में ठहराए गए थे। गंगबल छड़ी की पूजा-अर्चना के साथ ही यात्रा गंगबल झील के लिए रवाना हो गई।
यात्रा में सौ से भी अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उनमें महिलाएं भी शामिल थी। तकरीबन आठ घंटे की पैदल यात्रा कर श्रद्धालु पवित्र गंगबल झील पहुंचेंगे।
यात्रा को हरी झंडी दिखाने से पहले हरमुख गंगबल ट्रस्ट के महासचिव विनोद पंडित ने कहा कि उन्होंने छह वर्ष पहले यात्रा को चंद श्रद्धालुओं के साथ शुरू किया था। अब यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। यात्रा के लिए पुख्ता सुरक्षा प्रबंध किए हुए हैं। ट्रस्ट श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधाएं देने की कोशिश कर रहा है।
गौरतलब हो कि कश्मीरी पंडित समुदाय में हरमुख गंगबल यात्रा का प्रचलन सदियों पहले था। पंडित टोलियों में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के पूजा-अर्चना करते थे। अधिकतर लोग अपने पितरों की अस्थियों का प्रवाह गंगबल झील में ही किया करते। उनमें एक आस्था थी कि झील में अस्थियां विसर्जित करने से मृतक को मोक्ष प्राप्त होता है। क्योंकि गंगबल झील की मान्यता हरिद्वार गंगा के साथ की जाती है।
उपप्रधान किंग भारती ने कहा कि हरमुख गंगबल यात्रा दिनदिनों राष्ट्रीय महत्व प्राप्त कर रही है। अब सिर्फ स्थानीय पंडित ही यात्रा नहीं करते बल्कि देश के अन्य भागों से भी श्रद्धालु आने लगे हैं। उषा नकाशी ने कहा कि ट्रस्ट अब पारंपरिक रूट चितर गुल को भी अपनाने की कोशिश कर रहा है ताकि श्रद्धालु दुख सर व सुख सर में श्रद्धापूर्वक तर्पण कर सकेंगे।
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