और यह किसी रहस्य से कम नहीं
अफगानिस्तान, द्वापरयुग में भारत का अभिन्न अंग था। जिसके प्रमाण यहां वर्तमान में मौजूद हैं। महाभारत और रामायण में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं।
महाभारत में गांधार के नाम से प्रसिद्ध अफगानिस्तान के इतिहास पर गौर करें तो ईसा के 1800 वर्ष पहले आर्यों का आगमन हुआ। ईसा के 700 वर्ष पहले इसके उत्तरी क्षेत्र मे गांधार महाजनपद था, जिसके बारे में महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है।
500 ईपू फारस के हखामनी शासकों ने इसको जीत लिया। सिकन्दर के फारस विजय अभियान के समय अफगानिस्तान भी यूनानी साम्राज्य का अंग बन गया। इसके बाद यह शकों के शासन में आए। यानी यहां प्राचीन काल में सनातन धर्म पल्लवित था।
अफगानिस्तान, द्वापरयुग में भारत का अभिन्न अंग था। जिसके प्रमाण यहां वर्तमान में मौजूद हैं। महाभारत और रामायण में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि अफगानिस्तान भारत का अभिन्न अंग हुआ करता था। यहां सनातन धर्म पल्लवित था, बाद में यह देश बुद्ध का देश बना।
अन्य संस्कृतियों का केंद्र
पारसी मत के प्रवर्तक जरथ्रुष्ट द्वारा रचित ग्रंथ 'जेंदावेस्ता' में इस भूखंड को ऐरीन-वीजो या आर्यानुम्र वीजो कहा गया है। आज भी अफगानिस्तान के गांवों में बच्चों के नाम आपको कनिष्क, आर्यन, वेद आदि मिलेंगे।
विश्व की प्राचीन सभ्यताएं हैं मौजूद
भू-वैज्ञानिकों ने खोज में पाया गया है कि अफगानिस्तान में मोहनजोदड़ो और हडप्पा संस्कृति के अवशेष पाए गए हैं। विश्व की इन सबसे पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिलता है कि अफगानिस्तान काफी प्राचीन देश है। इस देश में प्राचीन काल से ही शिव-पार्वती की पूजा होती आ रही है। बाद में बौद्ध धर्म के जन्म के बाद यहां बौद्ध संप्रदाय का आधिपत्य रहा।
यहां 'टाइम वेल' है मौजूद
कुछ समय पहले जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की एक प्राचीन गुफा में प्राचीन भारत का एक विमान पाया गया है। यह विमान 'टाइम वेल' में फंसा हुआ है। इसी कारण सुरक्षित बना हुआ है।
दरअसल, 'टाइम वेल' इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित क्षेत्र होता है और इस कारण से इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता है। और यह किसी रहस्य से कम नहीं।