प्रोटोकाल दर्ज होने के बाद भी मंदिर प्रशासन व नियंत्रण कक्ष की लापरवाही
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रविवार को दर्शन के लिए जा रहे सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मविभूषण डा. बिंदेश्वर पाठक को सुरक्षाकर्मियों ने परिसर में प्रवेश से रोक दिया। प्रोटोकाल दर्ज होने के बाद भी बारी-बारी से दो द्वारों पर इस कदर तिरस्कार से आहत डा. पाठक बिना दर्शन किए लौट
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रविवार को दर्शन के लिए जा रहे सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मविभूषण डा. बिंदेश्वर पाठक को सुरक्षाकर्मियों ने परिसर में प्रवेश से रोक दिया। प्रोटोकाल दर्ज होने के बाद भी बारी-बारी से दो द्वारों पर इस कदर तिरस्कार से आहत डा. पाठक बिना दर्शन किए लौट गए। विरोध में सुलभ द्वारा उपलब्ध कराए गए सेवादारों ने भी कार्य बहिष्कार कर दिया और परिसर छोड़ कर चले गए।
डा पाठक सुबह नौ बजे मंदिर के गेट नंबर दो (सरस्वती फाटक) पहुंचे। साथ आए लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को उनके बारे में बताया। मंदिर कार्यालय और नियंत्रण कक्ष में प्रोटोकाल दर्ज होने की जानकारी भी दी। सुरक्षाकर्मियों ने इससे अनभिज्ञता जताते हुए उन्हें छत्ताद्वार से परिसर में जाने को कहा। वहां भी उनके साथ प्रतिष्ठा के अनुरूप व्यवहार करना तो दूर, परिसर में प्रवेश से ही रोक दिया गया। इस पर उन्होंने बाहर से ही बाबा को प्रणाम किया और लौट गए। इस बीच मंदिर प्रशासन जागा, तब तक वे बांसफाटक पहुंच चुके थे। पुन: बुलाने के लिए भेजे गए सुरक्षाकर्मी को उन्होंने बाबा की इच्छा न होने का हवाला देते हुए लौटा दिया। प्रकरण की जानकारी होते ही सुलभ इंटरनेशनल द्वारा मंदिर की सफाई के लिए उपलब्ध कराए गए 12 सेवादारों ने भी मंदिर छोड़ दिया।
मंदिर प्रशासन ने पद्मविभूषण प्राप्त विशिष्ट व्यक्ति को आहत किया है। दफ्तर में तैनात लिपिक ने सेवादारों के साथ भी दुर्व्यवहारकिया। तानाकशी से क्षुब्ध हो सभी मंदिर छोड़ कर चले गए।
- डा. बीएन चतुर्वेदी, डा. पाठक के प्रतिनिधि
मैं अभी शहर में नहीं हूं। मंदिर दफ्तर व नियंत्रण कक्ष में प्रोटोकाल दर्ज था। गड़बड़ी कहां से हुई, लौट कर जांच कराएंगे। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
- अजय अवस्थी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर।