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ंऐसौ उड़ रहौ अबीर गुलाल, यामैं खोए गयौ श्यामरौ

ऐसौ उड़ रहौ अबीर गुलाल यामैं खोए गयौ श्यामरौ प्यारौ।Ó इस चौपाई के साथ बरसाना के कण-कण में राधा-कृष्ण का आलौकिक माधुर्य बिखरा गया। ब्रज की दिव्य व अनूठी प्रेमभरी लठामार रंगीली होली की प्रथम चौपाई मंगलवार को निकाली गई। अबीर-गुलाल से आसमान सतरंगी हुआ तो सभी मदमस्त हो गए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 18 Feb 2015 02:56 PM (IST)Updated: Wed, 18 Feb 2015 03:04 PM (IST)
ंऐसौ उड़ रहौ अबीर गुलाल, यामैं खोए गयौ श्यामरौ

बरसाना। 'ऐसौ उड़ रहौ अबीर गुलाल यामैं खोए गयौ श्यामरौ प्यारौ।Ó इस चौपाई के साथ बरसाना के कण-कण में राधा-कृष्ण का आलौकिक माधुर्य बिखरा गया। ब्रज की दिव्य व अनूठी प्रेमभरी लठामार रंगीली होली की प्रथम चौपाई मंगलवार को निकाली गई। अबीर-गुलाल से आसमान सतरंगी हुआ तो सभी मदमस्त हो गए।

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मंगलवार को गोस्वामी समाज के मुखिया रामभरोसे गोस्वामी के नेतृत्व में ढप, मृदंग, चंग, उपंग, झांझ, झालरियों की धुनों पर नाचते गाते हुए संध्या आरती के बाद प्रथम चौपाई निकाली गई। लठामार होली की प्रथम चौपाई में गाए जाने वाले पदों से गोस्वामी समाज के लोग आनंद के चरम पर पहुंच गए। अबीर गुलाल की वर्षा से आसमान पट गया।

यह प्रथम चौपाई कस्बे के लाड़ली जी मंदिर व दादी बाबा होते हुए रंगीली गली स्थित रंगेश्वर महादेव तक निकाली गई। गोस्वामीजनों द्वारा होली के विभिन्न पदों का गुणगान किया गया। 'रूप वावरो नंद महर सौ वौहर वनौ होरी को छैल रोकट टोकत घूंघट खोलत भर पिचकारी तकत पुरोजन यही भरे जौवन के फैलÓ बरसानौ हमारी रजधानी गहवरवन और खोर सांकरी, 'कलीदह खेलन आयौ काए की पट गेंद

बनाई और काए कौ डंडा लायौ।Ó इन पदों को सुनकर श्रद्धालु राधा-कृष्ण की भक्ति में डूब गए। होली के पदों से श्रीधाम बरसाना गुंजायमान हो उठा।

द्वितीय चौपाई 26 फरवरी को -

विश्व प्रसिद्ध लठामार होली की द्वितीय

चौपाई 26 फरवरी को लड्डू होली वाले दिन निकाली जाएगी। 27 फरवरी को रंगीली गली चौक में विश्व प्रसिद्ध लठामार होली का आयोजन किया जाएगा।

एक प्राचीन कथा के अनुसार शिवरात्रि के दिन सभी सखियां शंकर जी का व्रत रखती है। इस दिन राधा रानी अपनी सखियों के साथ संकेतवट में खेलने नहीं जाती हंै। जब श्रीकृष्ण राधा रानी के दर्शन करने के लिए छद्म रूप धारण कर विलासगण पर आते हैं।

सखियां जाकर राधा रानी से कहती है कि

''बाघंवर ओड़े सांवरौ यामें जोगी कौ हुनर कौनÓÓ राधारानी अपने साथ सखियों को लेकर सांकरी खोर में पहुंचकर छद्म रूप धारी भगवान श्रीकृष्ण को पहचान जाती है और कहती है 'महामोहन ठोढ़ा सांवरौ ठाड़ौ सांकरी खोरÓ और इसी के साथ भगवान श्रीकृष्ण राधा जी के साथ होरी खेलते हैं।


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