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दुर्गा मां की आरती

दुर्गा मां आरती सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

By Edited By: Published: Thu, 11 Apr 2013 04:34 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2013 04:34 PM (IST)
दुर्गा मां की आरती

दुर्गा मां आरती सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ जय अम्बे गौरी ॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ॥ जय अम्बे गौरी ॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥ जय अम्बे गौरी ॥ केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी । सुर नर मुनिजन सेवक, तिनके दुखहारी ॥ जय अम्बे गौरी ॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥ जय अम्बे गौरी ॥ शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ जय अम्बे गौरी ॥ चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे । मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ जय अम्बे गौरी ॥ ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ जय अम्बे गौरी ॥ चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं । बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ॥ जय अम्बे गौरी ॥ तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता । भक्तन की दु:ख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥ जय अम्बे गौरी ॥ भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्परधारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ जय अम्बे गौरी ॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥ जय अम्बे गौरी ॥ श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै । कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥ जय अम्बे गौरी ॥

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