संतों को मनाने की कवायद तेज
गंगा के लिए आंदोलित संत समाज को मनाने की सरकारी कवायद तेज कर दी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को पत्र भेज कर 18 जून को जंतर-मंतर पर न जुटने की अपील की है। साथ ही पत्र में गंगा की अविरलता के बाबत सरकार का पक्ष भी रखा है।
वाराणसी। गंगा के लिए आंदोलित संत समाज को मनाने की सरकारी कवायद तेज कर दी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को पत्र भेज कर 18 जून को जंतर-मंतर पर न जुटने की अपील की है। साथ ही पत्र में गंगा की अविरलता के बाबत सरकार का पक्ष भी रखा है।
सरकार द्वारा शंकराचार्य को जारी पत्र की जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता राजेशपति त्रिपाठी ने बताया कि सरकार गंगा की अविरलता-निर्मलता के प्रति संकल्पबद्ध है। संतों की तपस्या को देखते हुए शुक्त्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री वे नारायणसामी ने जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को पत्र भेज कर अपनी इच्छाशक्ति जाहिर की है। बजरिए पत्र अवगत कराया है कि गंगा नदी के पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह के गठन का निर्देश जारी किया गया है। यह समूह भागीरथ, अलकनंदा और गंगा नदी पर प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा कर तीन माह में रिपोर्ट देगा। समूह की रिपोर्ट प्राप्ति तक गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों पर किसी नई परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही गंगा की सहायक नदियों पर निर्माणाधीन परियोजनाओं पर तत्काल रोक लगाने संबंधी बिंदुओं पर सम्यक विचार के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह को संदर्भित किया जाएगा। अलकनंदा हाइड्रोपावर कंपनी द्वारा श्रीनगर गढ़वाल के समीप निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना में सरकारी निर्देश के उल्लंघन की जांच के लिए भी एक समिति गठित की जा रही है। समिति की आख्या प्राति के बाद यथोचित कार्रवाई की जाएगी। पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण द्वारा जलशोधन के लिए 2600 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी है। विश्व बैंक द्वारा भी प्राधिकरण को 5500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
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