मानसरोवर मार्ग का जायजा लेने रवाना हुआ दल
एक जून से शुरू होने वाली कैलास मानसरोवर यात्रा को लेकर प्रशासनिक कवायद तेज हो गई है। कैलास मानसरोवर पैदल मार्ग के निरीक्षण को लोक निर्माण विभाग का दल लिपूलेख रवाना हो चुका है। यह दल नारायण आश्रम से लिपूलेख तक मार्ग का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगा।
धारचूला [पिथौरागढ़] एक जून से शुरू होने वाली कैलास मानसरोवर यात्रा को लेकर प्रशासनिक कवायद तेज हो गई है। कैलास मानसरोवर पैदल मार्ग के निरीक्षण को लोक निर्माण विभाग का दल लिपूलेख रवाना हो चुका है। यह दल नारायण आश्रम से लिपूलेख तक मार्ग का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगा।
कैलास मानसरोवर यात्रा पर आधार शिविर धारचूला से 54 किमी दूर नारायण आश्रम तक की यात्रा वाहनों से होती है। इससे आगे की भारत में पूरी यात्रा पैदल है, जिसमें पहला पड़ाव सिर्खा, गाला, बूंदी, गुंजी, कालापानी और नाबीढांग पड़ाव हैं। छियालेख से तिब्बत सीमा लिपूलेख तक का मार्ग उच्च हिमालयी भूभाग में पड़ता है। शीतकाल में हुए हिमपात के चलते उक्त मार्ग क्षतिग्रस्त रहता है। एक जून से शुरु होने वाली यात्रा के लिए प्रशासन को एक सप्ताह पूर्व मार्ग दुरुस्त कर रिपोर्ट विदेश मंत्रालय को भेजनी पड़ती है।
दूसरी तरफ भारतीय भूभाग के अंतिम भारतीय पड़ाव नाबीढांग से लिपूलेख के बीच बर्फ जमी रहती है। इस वर्ष अभी तक हो रहे हिमपात के चलते मार्ग में काफी अधिक बर्फ होने के आसार हैं। प्रतिवर्ष पहले जाने वाले तीन चार दलों को बर्फ पर चलकर तिब्बत में प्रवेश करना पड़ता है। मार्ग से बर्फ हटाना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहती है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सहयोग से मार्ग की बर्फ हटाई जाती है। मालूम हो कि बीते दिनों लामारी के निकट मार्ग ध्वस्त हो गया था, जहां पर अभी अस्थाई रूप से व्यवस्था कर माइग्रेशन वाले ग्रामीण आवाजाही कर रहे हैं। इसके अलावा लखनपुर से लामारी के बीच कई स्थानों पर मार्ग में टूट फूट है। उपजिलाधिकारी धारचूला डा. अभिषेक त्रिपाठी के अनुसार यात्रा शुरू होने से पूर्व मार्ग दुरुस्त कर लिया जाएगा।
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