व्यक्ति में नहीं होना चाहिए अहंकार का भाव
श्रीराम कथा व्यक्ति को सरल व सहृदयी होने की सीख देती है। यह बात बताई श्रीराम तुलसी किंकर के शिष्य, उमा शंकर व्यास ने। वह अलीगंज स्थित नए हनुमान मंदिर पर श्री महावीर जी ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम
लखनऊ। श्रीराम कथा व्यक्ति को सरल व सहृदयी होने की सीख देती है। यह बात बताई श्रीराम तुलसी किंकर के शिष्य, उमा शंकर व्यास ने। वह अलीगंज स्थित नए हनुमान मंदिर पर श्री महावीर जी ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में प्रवचन कर रहे थे। भगवान भोले शंकर और नारद मुनि के बीच के संवाद का प्रसंग सुनाते हुए वह बोले कि व्यक्ति में अहंकार का भाव नहीं होना चाहिए क्योंकि यह दुष्टता का परिचायक है। भगवान और उसके भक्त को छोड़कर किसी में भी उदारता नहीं होती। संसार में केवल यही दो व्यक्ति हैं जो सरल स्वभाव के हो सकते हैं। भगवान तो समस्त संसार के पालनहार हैं और भक्त हृदय से बात करते हैं। यही कारण था कि जब बजरंगबली की विभीषण से मुलाकात हुई तो दोनों हृदय से संवाद कर रहे थे। सांसारिक व्यक्तियों द्वारा यह संभव नहीं है क्योंकि वे तो बुद्धि से वार्तालाप करते हैं। यही बुद्धि बाद में उनके पतन का कारण बनती है क्योंकि बुद्धि की शक्ति स्वयं व्यक्ति में नहीं होती।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर